
मंगल उग्र प्रकृति का ग्रह होने के कारण पाप ग्रह माना जाता है। विवाह के संदर्भ में मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव का विचार विशेषतौर पर किया जाता है क्योंकि मंगलिक दोष का निर्माण मंगल की स्थिति से होता है जिसे दाम्पत्य जीवन के लिए शुभ योग नहीं माना जाता है। एक अनुमान के अनुसार 100 में से 70 लोगों की कुण्डली में यह दोष होता है लेकिन, कुण्डली में कुछ ऐसे भी योग होते हैं जिससे मंगलिक दोष प्रभावहीन हो जाता है।
ज्योतिषशास्त्र इन्दु प्रकाश जी के अनुसार अगर कुण्डली में चतुर्थ और सप्तम भाव में मंगल मेष अथवा कर्क राशि के साथ योग बनाता है तो मंगली दोष (Mangal Dosh) नहीं लगता है। मंगल दोष (Mangal Dosh) उस स्थिति में भी प्रभावहीन हो जाता है जब मंगल वक्री हो या फिर नीच या अस्त। सप्तम भाव में अथवा लग्न स्थान में गुरू या फिर शुक्र स्वराशि या उच्च राशि में होने पर मंगलिक दोष का कुप्रभाव समाप्त हो जाता है। सप्तम भाव में स्थित मंगल पर बृहस्पति की दृष्टि हो तो मांगलिक दोष से व्यक्ति मुक्त हो जाता है। कुण्डली में मंगल गुरू की राशि धनु अथवा मीन में हो या राहु के साथ मंगल की युति हो तो इससे भी मंगलिक दोष प्रभावहीन हो जाता है।
