October 2019

क्यों मनाया जाता है भाई दूज

दूज पर्व, भाई-बहन के पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक है। भाई दूज (Bhai Duj) या भैया दूज पर्व को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाने वाला पर्व है। यह तिथि दीपावली के दूसरे दिन आती है। …

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देव दिवाली का महत्व

दिवाली के बाद पंद्रहवें दिन कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली (Dev Diwali) का पर्व मानाया जाता है। हर त्योहार की तरह यह त्योहार भी कई राज्यों में मनाया जाता है। लेकिन इसका सबसे ज्यादा उत्साह बनारस में देखने को मिलता है. इस दिन मां गंगा की पूजा की जाती है। गंगा के तटों का नजारा …

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करवा चौथ : कैसे करें सुहाग की लम्बी उम्र की कामना

किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्त्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है। करवा चौथ (Karwa Chauth) व्रत खास कर स्त्रियां अपने पति की लम्बी उम्र यानि अपने सुहाग के लिए रखती हैं | यदि आप व्रत का रखना …

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दीपावली से जुडी अन्य कहानियाँ

दीपावली (Diwali) हमारा सबसे प्राचीन धार्मिक पर्व है। यह पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। देश-विदेश में यह बड़ी श्रद्धा, विश्वास एवं समर्पित भावना के साथ मनाया जाता है। यह पर्व ‘प्रकाश-पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व के साथ अनेक धार्मिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। …

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गोवत्स द्वादशी क्यों है खास

कार्तिक कृष्ण द्वादशी को गोवत्स द्वादशी (Govats Dwadashi) के नाम से जाना जाता है। इसे बछ बारस का पर्व भी कहते हैं। गुजरात में इसे वाघ बरस भी कहते हैं. यह एकादशी के बाद आता है। गोवत्स द्वादशी के दिन गाय माता और बछड़े की पूजा की जाती है। यह पूजा गोधुली बेला में की …

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अहोई अष्टमी से होगा सन्तान का कल्याण

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के पर्व पर माताएं अपने पुत्रों के कल्याण के लिए अहोई माता व्रत रखती हैं। परंपरागत रूप में यह व्रत केवल पुत्रों के लिए रखा जाता था प्ररन्तु अपनी सभी संतानों के कल्याण के लिए आजकल यह व्रत रखा जता है। माताएं, बहुत उत्साह से अहोई माता की पूजा करती हैं …

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धनतेरस का महत्व

अखंड भारत वर्ष में दीपावली के महापर्व से दो दिन पूर्व धन के देव धन्वन्तरिकी पूजा बड़े ही उल्लास के साथ की जाती है आम तौर पर इस पर्व को धनतेरस (Dhanteras) नाम से मनाया जाता है। माना जाता है की इस दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था  है। यह पर्व हर साल कार्तिक …

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शरद पूर्णिमा का महत्व

भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार व अखंड ज्योतिष गणना के द्वारा हर माह के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा होती है। यह स्थिति चन्द्रमा की कलाओं पर निर्धारित दो पक्षों (अमावस्या व पूर्णिमा) में बंटी रहती है। धार्मिक रूप से पूर्णिमा तिथि बहुत ही सौभाग्यशाली मानी जाती है। इसलिये सम्पूर्ण विश्व में ज्योतिष शास्त्र …

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दशहरे त्यौहार का महत्व

प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति वीरता और शौर्य की उपासक रही है। भारतीय संस्कृति कि गाथा इतनी निराली है कि देश के अलावा विदेशों में भी इसकी गूँज सुनाई देती है| तभी तो पुरी दुनिया ने भारत को विश्व गुरु माना है। दशहरा केवल त्योहार ही नही बल्कि इसे कई बातों का प्रतीक भी …

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नवरात्रों में मां सरस्वती का पूजन व विसर्जन

शास्त्रों के अनुसार देवी सरस्वती की पूजा शारदीय नवरात्रों में पंचमी तिथि में होती है और उनका विसर्जन षष्ठी तिथि में किया जाता है। जिन लोगों ने मिट्टी की प्रतिमा स्थापित की है उन्हें मूर्ति का विसर्जन करके मूर्ति को जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। कहा जाता है कि माता सरस्वती (Saraswati Mata) के …

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