जानिये कैसे जन्म कुंडली मे प्रकट करता है राजत्व प्रभाव गज केशरी योग

Image result for गजकेसरी योग भारतीय अखण्ड़ ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली में बन रहे गुरु और चंद्र के योग से गजकेशरी योग प्रकट होता है। जिसे गज केशरी राज योग के नाम से भी जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि किसी जन्मकुंडली में बृहस्पति चंद्रमा एक ही स्थान में हो तो ऐसी स्थिति में जातक की जन्मकुंडली में गज केसरी योग बनता है। जो जातक को व्यवसायिक सफलता, ख्याति, धन, संपति तथा अन्य शुभ फल प्रदान कर सकता है।
कुंडली में गज केसरी योग के निश्चित करने से पूर्व  कुंडली में चन्द्रमा तथा गुरु दोनों के अंश-कालाओं की गणना कर और उन दोनों ग्रहों के स्वभाव का भली भांति चयन कर तथा दोनों के शुभ तथा कुंडली में एक ही स्थान में युक्त होने पर गज केसरी योग का निश्चय करना चाहिए।
यदि किसी भी जातक की जन्मकुंडली में पूर्ण रूप से गज केशरी यो बनता हो तो ऐसा जातक सदैव राजाओं जैसे व्यव्हार व कई संघर्षों के बाद भी एक सुखी जीवन व्यतीत करता है क्योंकि कुंडली में गज केशरी योग को सर्वोपरि एक शुभ योग माना गया है।
जन्मकुंडली में बने गज केशरी योग को भगवान गणपति जी का स्वरुप  माना जाता है। क्योंकि गणेश जी बुद्धि के अधिदेव माने जाते हैं जो जातक को बौद्धिक शक्ति के आधार धन-दौलत, मान-सम्मान व समाज में सदैव एक उच्च स्तर प्रदान कराता है। और जातक को सदैव कठिनायों के बाद भी गज के समान धन की प्राप्ति कराता है। गज केशरी योग जातक को अपने प्रभाव से उसकी सभी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सफल होता है।
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