नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की आराधना की जाती है। महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या के फल स्वरुप में माँ ने कात्यायन के घर जन्म लिया जिसके कारण माता रानी का नाम कात्यायनी पड़ा।
कात्यायनी माता की आरती
जय जय अम्बे जय कात्यानी|
जय जग माता जग की महारानी||
बैजनाथ स्थान तुम्हारा|
वहावर दाती नाम पुकारा||
कई नाम है कई धाम है|
यह स्थान भी तो सुखधाम है||
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी|
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी||
हर जगह उत्सव होते रहते|
हर मंदिर में भगत है कहते||
कत्यानी रक्षक काया की|
ग्रंथिकाटे मोह माया की||
झूठे मोह से छुडाने वाली|
अपना नाम जपाने वाली ||
ब्रेह्स्पतिवार को पूजा करिए|
ध्यान कात्यानी का धरिये||
हर संकट को दूर करेगी|
भंडारे भरपूर करेगी ||
जो भी माँ को ‘भक्त’ पुकारे|
कात्यानी सब कष्ट निवारे||
नवरात्री के छटे दिन माँ कात्यायिनी को शहद का भोग लगाया जाता है और प्रसाद के रूप में खुद भी ग्रहण करा जाता है।
छठे दिन मां कात्यायनी की सच्चे दिल से आराधना करनी चाहिए और मंत्र का कम से कम 1 माला जाप करे, स्त्रोत पढ़े और आरती करे।
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