नवरात्रि की धूम हर तरफ है। घर हो या मंदिर, हर जगह माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना हो रही है।

श्री दुर्गा का पंचम रूप श्री स्कंदमाता (Maa skandmata) हैं। श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता (Skanda

देवी कुष्मांडा (Kushmanda Devi) माँ दुर्गा का चौथा स्वरुप हैं | बहुत समय पहले, जब श्रृष्टि का कोई वजूद नहीं था और

नवरात्र का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) को समर्पित होता है | माता शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी के बाद तीसरे दिन माँ

जीवन में खुशहाली, सुख समृद्धि व उन्नति लाने वाले महालक्ष्मी व्रत का आरंभ 6 सितंबर से हो चुका है। ये व्रत 16

नीके दिन जब आइहैं, बनत न लगिहैं देर जब एक हुआ तो दस होते दस हुए तो सौ की इच्छा है |

जैसा की नवरात्रि के दौरान नौ विशेष रात्रियों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है और उनका

नवरात्र (Navratri) यानि नौ विशेष रात्रियां | इन रात्रियों में आदिशक्ति के नौ रूपों का पूजन किया जाता है | नवरात्री के

चन्द्रमा (Moon) ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मन का प्रतिनिधित्व करता है साथ ही यह सबसे तेज़ गति से चलने वाला ग्रह है |

जीवन (Life) में प्रेम का बहुत महत्व होता है | सब कुछ होते हुए भी अगर प्रेम (love) ना हो तो जीवन

हिन्दू धर्म (Hindu) में शामिल सोलह संस्कारों में से एक है विवाह संस्कार (Marriage) | किसी के भी जीवन में विवाह सबसे

शिवलिंग (Shivling) भगवान शिव का प्रतिक है | सभी शिव भक्त शिवलिंग का पूर्ण भक्तिभाव से पूजन करते हैं | हर भक्त