नवरात्रि हिन्दू धर्म का सबसे पावन पर्व माना जाता है । यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव शक्ति उपासना का प्रतीक है । इन दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा , साधना और व्रत-उपवास का विशेष महत्व होता है । परंतु नवरात्रि व्रत का वास्तविक फल तभी मिलता है जब इसे सही नियमों और श्रद्धा के साथ किया जाए । आचार्य इंदु प्रकाश जी , जोकि विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और धर्मगुरु हैं , का मानना है कि व्रत केवल खान-पान का त्याग नहीं है , बल्कि यह आत्मसंयम , साधना और शुद्ध आचरण का अभ्यास है । यदि नवरात्रि व्रत नियमों के अनुसार किया जाए , तो यह जीवन को सकारात्मक ऊर्जा , समृद्धि और शांति से भर देता है ।

महत्व : नवरात्रि व्रत का
आध्यात्मिक दृष्टि से
नवरात्रि व्रत को आत्मशुद्धि और ईश्वर प्राप्ति का मार्ग माना जाता है । नौ दिनों तक मां दुर्गा की उपासना करने से साधक को आत्मबल और मानसिक शांति प्राप्त होती है । ज्योतिषीय दृष्टि से आचार्य इंदु प्रकाश जी बताते हैं कि नवरात्रि में ग्रहों की स्थिति भी साधक के जीवन पर विशेष प्रभाव डालती है । यदि इस समय व्रत नियमपूर्वक किया जाए , तो जीवन में कई ग्रह दोष दूर हो जाते हैं और व्यक्ति को जीवन में प्रगति का मार्ग मिलता है ।
नियम – उपवास करने के दस आवश्यक नियम नवरात्रि व्रत के
- व्रत का संकल्प अवश्य लें व्रत शुरू करने से पहले मन , वचन और कर्म से मां दुर्गा का स्मरण करते हुए संकल्प लें । संकल्प लिए बिना किया गया व्रत अधूरा माना जाता है ।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना अति आवश्यक है । इससे मन और शरीर दोनों शुद्ध रहते हैं और साधना का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है ।
- सात्त्विक आहार लें इन दिनों केवल फलाहार , दूध , दही , साबूदाना , कुट्टू और सिंघाड़े का आटा ग्रहण करना चाहिए । प्याज , लहसुन , मांसाहार और शराब का पूर्णतः त्याग करें ।
- माता की आराधना प्रतिदिन करें सुबह और शाम दोनों समय माता दुर्गा की पूजा करें । दीपक जलाकर दुर्गा सप्तशती , दुर्गा चालीसा या मंत्रों का जाप करना शुभ होता है ।
- व्रत के दौरान नियमपूर्वक जल सेवन पानी पीने में भी संयम रखना चाहिए । अधिक बार पानी पीने के बजाय आवश्यकता अनुसार ही जल ग्रहण करें ।
- मन , वचन और आचरण की पवित्रता बनाए रखें नवरात्रि में झूठ बोलना , क्रोध करना , कटु वचन कहना और किसी का अपमान करना वर्जित है ।
- अखंड ज्योति प्रज्वलित करना यदि संभव हो तो घर में अखंड ज्योति जलाएं । इसे नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा और सकारात्मक शक्ति के प्रवाह का प्रतीक माना जाता है ।
- कन्या पूजन का नियम नवरात्रि के अंतिम दिनों में विशेषकर अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन करना अनिवार्य माना गया है । यह मां दुर्गा को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ उपाय है ।
- व्रत के समय ध्यान और जप प्रतिदिन कम से कम 108 बार दुर्गा मंत्र का जाप अवश्य करें । इससे मन एकाग्र होता है और साधना सफल होती है ।
- व्रत का समापन विधिपूर्वक करें व्रत का समापन हवन , कन्या पूजन और प्रसाद वितरण के साथ करें । बिना विधि-विधान के व्रत अधूरा रहता है ।
नवरात्रि व्रत में क्या न करें ?
- नमक का सेवन वर्जित है , केवल सेंधा नमक का उपयोग करें ।
- आलस्य और देर तक सोना व्रत की शुद्धता को नष्ट करता है ।
- टीवी , मोबाइल और मनोरंजन में समय व्यर्थ करना उपवास की साधना को बाधित करता है ।
- किसी का अपमान या आलोचना करना पूर्णतः निषिद्ध है ।

मानसिक संतुलन और नवरात्रि व्रत
आचार्य इंदु प्रकाश जी कहते हैं कि नवरात्रि केवल धार्मिक व्रत नहीं , बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक शांति का अवसर है । जब व्यक्ति संयमित आहार और आचरण करता है , तो उसका मन भी शुद्ध होता है । इस दौरान ध्यान और प्राणायाम करने से मन की अशांति दूर होती है ।
नवरात्रि व्रत से जुड़े कुछ विशेष उपाय आचार्य इंदु प्रकाश जी द्वारा सुझाए गए धन-समृद्धि के लिए अष्टमी के दिन कन्याओं को लाल चुनरी और मिठाई अर्पित करें ।
स्वास्थ्य लाभ के लिए नवमी को दुर्गा सप्तशती का पाठ कर परिवार के स्वास्थ्य की कामना करें ।
ग्रह दोष शांति के लिए व्रत के साथ-साथ नौ दिनों तक नवग्रहों के मंत्रों का जाप करना लाभकारी माना गया है ।
नवरात्रि व्रत और आचार्य इंदु प्रकाश जी का मार्गदर्शन
आचार्य इंदु प्रकाश जी , जो दशकों से ज्योतिष और अध्यात्म के क्षेत्र में अग्रणी हैं , कहते हैं कि व्रत तभी सफल होता है जब इसे शुद्ध मन और नियमपूर्वक किया जाए । कई बार लोग केवल खान-पान को लेकर सतर्क रहते हैं , परंतु आचरण और विचारों की शुद्धता भूल जाते हैं । इसलिए आचार्य जी का सुझाव है कि नवरात्रि के दौरान हर कार्य सकारात्मक भाव और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए । यदि आप व्रत के दौरान किसी प्रकार की शंका में हों , तो आचार्य इंदु प्रकाश जी से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं । उनके बताए सरल उपाय जीवन में अद्भुत परिवर्तन ला सकते हैं ।
निष्कर्ष
नवरात्रि का व्रत केवल परंपरा नहीं , बल्कि यह आत्मशुद्धि , संयम और साधना का पर्व है । नवरात्रि व्रत नियम का पालन करके साधक न केवल मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करता है , बल्कि उसके जीवन में समृद्धि , शांति और सफलता का मार्ग खुल जाता है । आचार्य इंदु प्रकाश जी का स्पष्ट मत है कि व्रत तभी सार्थक होता है जब साधक श्रद्धा , नियम और भक्ति के साथ इसे निभाए । इस नवरात्रि पर यदि आप आचार्य जी के बताए नियमों का पालन करेंगे , तो निश्चित ही आपके जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होगा ।