लोहड़ी 2024, भारतीय हिंदू तिथियों में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, और दिल्ली उपनगर क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व विशेषकर रूप से किसानों के बीच बोने हुए फसलों की खास धन्यवादी पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि लोहड़ी 2024 का महत्व क्या है, इसे कैसे मनाया जाता है, और इस विशेष पर्व की तारीख और समय क्या हैं।

लोहड़ी 2024 का महत्व
धन्यवाद और उत्साह का माहौल
लोहड़ी पूरे परिवार के साथ मनाया जाने वाला एक उत्सव है जो धन्यवाद और उत्साह की भावना के साथ भरा होता है। इस दिन किसान अपनी मेहनत का फल गांव के साथ साझा करते हैं और समृद्धि की कामना करते हैं।
सर्दी का मौसम और बोने हुए फसलों का धन्यवाद
लोहड़ी विशेष रूप से सर्दी के मौसम में बोने हुए फसलों के लिए एक आभास है। इस दिन लोग बोने हुए गेहूँ, सरसों, और दलिया जलाते हैं, जिससे आसमान में उड़ती हुई मिट्टी और आग का प्रतीक मिलता है।

2024 लोहड़ी का अनुष्ठान
लोहड़ी पूजा की तैयारियां
2024 लोहड़ी की तैयारियां बहुत दिनों पहले ही शुरू होती हैं। लोग एकत्र होकर मिलकर ब्रज तैयार करते हैं और इसे देवता की पूजा के लिए सजाते हैं।
पूजा विधि
लोहड़ी के दिन लोग पहले से ही तैयार रहते हैं। सुबह सूरजोदय के समय, लोग ब्रज में इकट्ठे होते हैं और पूजा का अनुष्ठान करते हैं। इसके बाद, गांव के चर्च क्षेत्र में लोग मिलकर बैलगाड़ी और रसगुल्ले का आनंद लेते हैं।

लोहड़ी 2024 की तारीख और समय
2024 लोहड़ी, 13 जनवरी को मनाया जाएगा। इस साल, लोहड़ी का त्योहार खास उत्साह और उत्सव के साथ मनाया जाएगा। लोहड़ी का अनुष्ठान सूर्यास्त के बाद शुरू होगा, जब लोग बोनफायर के आसपास इकट्ठा होकर परंपरागत गाने गाते हैं और आनंद और उत्साह का आनंद लेते हैं।
लोहड़ी के दिन खासकर किसान अपनी प्राप्ति के लिए धन्यवाद व्यक्त करते हैं और आसमान में प्रार्थना करते हैं कि उनकी फसलें हमेशा अच्छी हों और उन्हें सदैव खुशहाली मिले। यह पर्व समृद्धि, खुशियों और समृद्धि की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है।
इस लोहड़ी, हर कोई मिलकर खुशियों के मोमेंट को मनाएं और उत्सव का आनंद उठाएं। यह पर्व एक साथी और समृद्धि का प्रतीक है और हम सबको साथ मिलकर इसका आनंद लेना चाहिए।

तारीख: 13 जनवरी 2024
लोहड़ी 2024 की मुख्य तारीख 13 जनवरी है। यह पूरे उत्तर भारतीय क्षेत्र में बड़े उत्साह और श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा।
समय: सूर्योदय के समय
लोहड़ी का अनुष्ठान सूर्योदय के समय आमतौर पर किया जाता है। सूर्य की किरणों के साथ इस पूजा का आरंभ होता है, जिससे एक नया और शुभ आरंभ होता है।
समापन
लोहड़ी, जो धन्यवाद और समृद्धि का पर्व है, लोगों को साथ मिलकर खुशी के पलों का आनंद लेने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। इस पूर्वाचली पर्व में भारतीय सांस्कृतिक धाराओं और समृद्धि की कामना के साथ, हर कोने में खुशहाली का माहौल बनता है।
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