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नवमांशा कुंडली का विवाह भविष्यवाणी: जानिए आपकी विवाह योग्यता

नवमांशा कुंडली: ज्योतिष शास्त्र में नवमांशा (Navamsa) कुंडली को विवाह और संतान का गहरा संबंध माना जाता है। यह कुंडली जन्म कुंडली के बाद दूसरी सबसे महत्वपूर्ण कुंडली मानी जाती है, जो व्यक्ति के जीवन में विवाह के समय, विवाह के अनुकूलता और अन्य संबंधों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज हम जानेंगे कि नवमांशा कुंडली के माध्यम से कैसे विवाह का भविष्य जाना जा सकता है और इसके बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

क्या होती है नवमांशा कुंडली ?

नवमांशा का महत्व

नवमांशा कुंडली का निर्माण जन्म कुंडली के नवें भाव को दशांशों में विभाजित कर किया जाता है। यह कुंडली व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, उसके साथी के स्वभाव और विवाह में आने वाली संभावित समस्याओं का पूर्वानुमान लगाने में मदद करती है।

क्या होती है नवमांशा कुंडली?
क्या होती है नवमांशा कुंडली?

कैसे होता है नवमांशा का निर्माण ?

नवमांशा कुंडली बनाने के लिए व्यक्ति की जन्म कुंडली को लेकर 9वें भाव को 9 हिस्सों में बांटा जाता है। प्रत्येक भाव का आंशिक विवरण उसकी जन्म कुंडली के ग्रहों की स्थिति पर आधारित होता है। इस कुंडली का विश्लेषण करने से विवाह के समय, विवाह में आने वाली समस्याओं, विवाह के लिए अनुकूलता और जीवन साथी के गुणों के बारे में जानकारी मिलती है।

नवमांशा कुंडली में विवाह योग्यता के संकेत

कुंडली के भाव और गृह

नवमांशा कुंडली में कुछ विशेष भाव और ग्रह होते हैं, जिनकी स्थिति से विवाह की संभावना और अनुकूलता का पता चलता है। इन प्रमुख भावों में सप्तम भाव (7th House), पंचम भाव (5th House), नवमांशा (9th House) और लग्न (Ascendant) शामिल हैं।

  • सप्तम भाव (7th House): यह भाव व्यक्ति के विवाह, उसके साथी की विशेषताओं और संबंधों की गहराई को दर्शाता है।
  • पंचम भाव (5th House): यह भाव प्रेम, विवाह में संतुलन और संतान की संभावनाओं को दर्शाता है।
  • नवमांशा (9th House): यह भाव व्यक्ति की धार्मिकता, गुरु या पंडित के मार्गदर्शन और विवाह में अच्छे संबंधों को दर्शाता है।

ग्रहों की स्थिति

  • शुक्र और बृहस्पति: विवाह के योग को मजबूत करने के लिए शुक्र और बृहस्पति की स्थिति महत्वपूर्ण होती है। यदि ये ग्रह शुभ स्थानों पर हों तो विवाह के योग प्रबल होते हैं।
  • शनि और राहु: ये ग्रह यदि बुरे स्थानों पर स्थित हों, तो विवाह में रुकावटें आ सकती हैं। इन ग्रहों की स्थिति को सही तरीके से समझना महत्वपूर्ण है।
क्या होती है नवमांशा कुंडली?
क्या होती है नवमांशा कुंडली?

नवमांशा कुंडली के माध्यम से विवाह का भविष्य

विवाह की संभावनाएं

नवमांशा कुंडली के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि विवाह के समय क्या परिस्थितियां बनेंगी, विवाह के लिए समय का चयन कैसे किया जा सकता है और जीवन साथी की क्या विशेषताएँ होनी चाहिए।

विवाह के अनुकूल योग

  • शुभ संयोग: नवमांशा में जब शुक्र और बृहस्पति की युति होती है, तो विवाह के लिए अनुकूल योग बनते हैं। साथ ही, अगर सप्तम भाव में सूर्य, चंद्रमा, या मंगल की स्थिति शुभ हो तो विवाह के योग और भी प्रबल हो जाते हैं।
  • ग्रहों का मेल: जब नवमांशा कुंडली में गुरु और शुक्र की युति होती है, तो यह विवाह में सुख, समृद्धि और प्रेम के संकेत देती है।

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क्या होती है नवमांशा कुंडली?
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निष्कर्ष

नवमांशा विवाह के संबंध में कई महत्वपूर्ण संकेत और जानकारी प्रदान करती है। सही समय पर उचित मार्गदर्शन से आप अपने जीवन को सुखमय और संतुष्टिपूर्ण बना सकते हैं। यदि आप भी विवाह के लिए अनुकूल समय और अपने जीवन साथी के गुणों के बारे में जानना चाहते हैं, तो आचार्य इंदु प्रकाश जी से संपर्क करें और अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों में सही दिशा प्राप्त करें।

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