नवरात्र के पावन नौ दिनों में नवमी (Navami) तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन देवी दुर्गा की साधना अपने चरम पर होती है और हवन करने की परंपरा सबसे शुभ मानी जाती है। हवन के माध्यम से वातावरण में पवित्रता, शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
नवमी के दिन हवन की विधि
नवमी के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और देवी मां की पूजा के बाद हवन आरंभ करें। हवन सामग्री में तिल, जौ और गुग्गुल को मिलाएं।
- तिल की मात्रा जौ के मुकाबले दो गुना रखें।

- गुग्गुल की मात्रा जौ के बराबर होनी चाहिए।
हवन करते समय यह शक्तिशाली मंत्र उच्चारण करें —
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”
प्रत्येक आहुति के साथ यह मंत्र बोलते हुए देवी दुर्गा से आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
हवन का महत्व
नवमी के दिन किया गया यह हवन आपके घर और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और चारों ओर सकारात्मकता व सुख-समृद्धि का वातावरण बनाता है।
इस दिन किया गया हवन:
- मन को शांति और स्थिरता देता है।
- परिवार में आपसी सौहार्द बढ़ाता है।
- घर में देवी मां की कृपा बनी रहती है।
नवरात्र समापन की परंपरा
नवमी तिथि के साथ चैत्र नवरात्र का समापन होता है। इस दिन पूजा में उपयोग की गई सभी वस्तुएं जैसे — बंदनवार, मिट्टी, जौ, कलश का जल, फूल आदि — को किसी नदी या तालाब में प्रवाहित करना शुभ माना जाता है। यह नवरात्रि के पूरे अनुष्ठान का समापन करने का पवित्र तरीका है।

