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दुर्गाष्टमी पूजन और उसका महत्व

भारत देश पर्वों और मेलो की धरती है। भारत को पर्वों और मेलों की भूमि इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं और हर साल अपने त्यौहारों और उत्सवों को मनाते हैं। दुर्गा पूजा भारत का एक धार्मिक त्यौहार है। दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव (Durgashtami) या षष्ठोत्सव […]

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माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप तथा महत्व

श्री दुर्गा का नवम रूप माता श्री सिद्धिदात्री (Maa Sidhidatri) है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों की दाता हैं इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं। भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से ये अनेको सिद्धियां प्राप्त की थीं। सिद्धिदात्री देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण

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Devi Mahagauri acharya indu prakash Navratri

क्या है माता महागौरी की कथा

हिन्दुओं के पवित्र पर्व नवरात्रि में आठवें दिन नवदुर्गा के महागौरी (Mahagauri) स्वरूप का पूजन किया जाता है। माता महागौरी राहु ग्रह पर अपना आधिपत्य रखती हैं। महागौरी शब्द का अर्थ है महान देवी गौरी। नवरात्र के आठवें दिन महागौरी (Mahagauri) की पूजा-अर्चना और स्थापना की जाती है। उत्पत्ति के समय महागौरी आठ वर्ष की

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नवरात्र में माता कालरात्रि का पूजन

नवरात्र के सातवें दिन माँ भगवती दुर्गा के कालरात्रि (Maa Kalratri) रूप की पूजा की जाती है। शास्‍त्रों के अनुसार बुरी शक्तियों से पृथ्‍वी को बचाने और पाप को फैलने से रोकने के लिए मां ने अपने तेज से इस रूप को उत्‍पन्‍न किया था इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि (Maa

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माँ कात्यायनी के पूजन से मिलेगा मन चाहा वर

नवरात्रि की धूम हर तरफ है। घर हो या मंदिर, हर जगह माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना हो रही है। नवरात्रि के छठे दिन देवी के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा-अर्चना का विधान है। इसी तिथि में देवी ने जन्म लिया था और महर्षि ने इनकी पूजा की थी |

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माँ स्कंदमाता देती हैं मोक्ष का आशीर्वाद

श्री दुर्गा का पंचम रूप श्री स्कंदमाता (Maa skandmata) हैं। श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता (Skanda mata) कहा जाता है। नवरात्रि के पंचम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इनकी आराधना से विशुद्ध चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती हैं। इनकी आराधना से

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कुष्मांडा देवी का पूजन नवरात्र के चौथे दिन

देवी कुष्मांडा (Kushmanda Devi) माँ दुर्गा का चौथा स्वरुप हैं | बहुत समय पहले, जब श्रृष्टि का कोई वजूद नहीं था और हर तरफ अन्धकार था, तब मान्यता है की इन्ही माता की मंद हंसी से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी | इसीलिए इनका नाम आदिशक्ति और आदिस्वरुपा भी है | आठ भुजाएं होने के

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नवरात्र में कैसे करें माँ चंद्रघंटा को प्रसन्न

नवरात्र का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा (Maa Chandraghanta) को समर्पित होता है | माता शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी के बाद तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है | माथे पर घंटे के आकार का चंद्र होने के कारण इन देवी को चंद्रघंटा कहा जाता है | सिंह पर सवार माता का शरीर स्वर्ण जितना

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नवरात्र के तीसरे दिन, मां चंद्रघंटा का पूजन

नवरात्र के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरुप की उपासना की जाती है । इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा पूजी जाती हैं । मां चंद्रघंटा (Chandraghanta) के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित होने के कारण ही इन्हें चंद्रघंटा (Chandraghanta) के नाम से जाना जाता है। मां चंद्रघंटा

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नवरात्र के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी का पूजन

चैत्र नवरात्र (Navratra) के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरुप, मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है । मां दुर्गा का ये स्वरूप अनन्त फल देने वाला है। जो व्यक्ति देवी के इस स्वरुप की पूजा करता है, वह हर क्षेत्र में जीत हासिल करता सकता है | ऐसा करने से उस व्यक्ति में

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