गोवर्धन पूजा 2023, हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और भक्ति को मनाने के लिए मनाया जाता है। यह पूजा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अज, या गोवत्स द्वादशी को मनाई जाती है। इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य गोवर्धन पर्वत की पूजा करके भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति करना है।
गोवर्धन पूजा 2023 का महत्व
2023 गोवर्धन पूजा का महत्व विशेष रूप से वृष्णि और किसान समुदाय के लिए अत्यधिक है। इस दिन भूमि पर धरती माता की पूजा करते हैं, और उन्हें आशीर्वाद मांगते हैं कि उनकी फसल सर्वसमृद्धि और सुरक्षित रहे।

1. गोवर्धन पर्व की कथा
2023 गोवर्धन पूजा का महत्व भगवत पुराण में उल्लिखित है। यह कथा कहती है कि भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन के वासियों को लोर्ड इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्व के रूप में गोवर्धन पर्व रचा था। इसके माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण ने भक्ति और श्रद्धा की महत्वपूर्णता को प्रमाणित किया था।

2. प्राकृतिक समृद्धि का आभास
गोवर्धन पूजा वनस्पति और कृषि के महत्व को मानता है। इस दिन अन्न, अनाज और दाने गोवर्धन पर्व के चित्रण के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, जिससे कृषि के महत्व को समझाया जाता है।
3. सामूहिक एकता
गोवर्धन पूजा समुदायिक एकता और सामर्थ्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। तैयारी के काम में समुदाय का संघटन और सहयोग शामिल होता है।

गोवर्धन पूजा 2023 का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष, गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 17 नवंबर 2023 को है। पूजा का सही समय सुबह 6:29 बजे से 8:25 बजे तक है। इस समय के दौरान पूजा करना शुभ माना जाता है।

गोवर्धन पूजा 2023 की विधि
यहाँ गोवर्धन पूजा करने की सरल विधि दी जा रही है:
सामग्री:
- गोवर्धन पर्वत (बना हुआ या गाय के डंडे से बनाया जा सकता है)
- कच्चा दूध
- दही
- घी
- गुड़ या शक्कर
- तिल
- मक्खन
- अख्खा (बंदी)

पूजा विधि:
- सबसे पहले धरती माता का पूजन करें। एक छोटी सी बेल पत्ति को धरती पर रखें और उसे गंध, फूल और रोली चढ़ाकर पूजें।
- अब गोवर्धन पर्वत को दूध, दही, घी, गुड़ या शक्कर, तिल, मक्खन और अख्खा बंदी से सजाकर पूजें।
- इसके बाद, गोवर्धन पर्वत को विशेष भक्ति भावना से पूजें और उसका आराधन करें।
- अब उपासना करते हुए भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करें और उन्हें प्रसाद चढ़ाकर आशीर्वाद लें।

गोवर्धन पर्वत की कहानी
पर्वत की कहानी पुराणों में वर्णित है। एक बार, गोकुल के वासिनों ने भगवान श्रीकृष्ण से मांग की थी कि वे नंदनगांव की जनता को भूमि पर वर्षा करने वाले इंद्र देव की पूजा न करें, और उन्हें गोवर्धन पर्वत की पूजा करने का सुझाव दिया।
भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने उँगलियों से उठाकर उसकी पूजा की और उसे पर्वत भगवान के रूप में पूजा। इससे गरजता हुआ वर्षा करने वाले इंद्र देव ने विपत्ति में आ गए और गोकुल को अच्छी तरह से बरसात हुई।
इसके बाद से, गोवर्धन पर्वत की पूजा हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अज तिथि को की जाती है।
उत्तर भारत में गोवर्धन पूजा का महत्व
उत्तर भारत के हिस्सों में, गोवर्धन पूजा को गोवत्स द्वादशी भी कहते हैं। इस दिन व्यापारी वर्ग अपने खाता-बही को सजाकर पूजते हैं और नये खाता खोलकर उसे शुभ बताते हैं।
इसके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए, आपको अपने स्थानीय पुजारी या ज्योतिषी से संपर्क करना चाहिए।
समापन
गोवर्धन पूजा हिन्दू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भगवान श्रीकृष्ण की महिमा और भक्ति का उत्सव है। इस वर्ष, गोवर्धन पूजा 14 नवंबर 2023 को है, और यह शुभ मुहूर्त सुबह 6:29 बजे से 8:25 बजे तक रहेगा। इस त्योहार को भक्ति, आभार और उत्साह के साथ मनाएं और अपने जीवन को आनंदमय बनाएं।
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