शैलपुत्री- इन्हें अखंड सौभाग्य की देवी माना जाता है। नवरात्र का शुभारंभ इनके पूजन के साथ होता है। माता शैलपुत्री से आपको मिल सकता है भूमि, भवन और वाहन का वरदान।
उपाय- शैलपुत्री माँ को गाय का घी और मिश्री चढ़ाने से भूमि और भवन की उपलब्धि प्राप्त होती है। आज कन्याओ को श्रृंगार सामग्री, सुगंधित और ताजा लाल फूल भेंट करने से वाहन सुख प्राप्त होगा।
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ब्रह्मचारिणी- दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इन्हे ब्रहमशक्ति का प्रतीक माना जाता है। माँ ब्रह्मचारिणी देवी से वरदान मिलता है शिक्षा और व्यवसाय में सफलता का।
उपाय- इस दिन 45 जोड़ा लौंग कपूर के साथ गुलाब के पत्ते पर रखकर आहुती देने से विद्या के क्षेत्र में सफलता हासिल होगी। आज के दिन 11 कन्याओं को मीठे फल दान करने से व्यवसाय में वृद्धि होगी।
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चंद्रघण्टा- देवी चंद्रघंटा को देवी का उग्र रुप कहा गया है। देवी चंद्रघण्टा देती है पाप-ताप और सभी विध्न बधाओं से मुक्ति।
उपाय- इस दिन प्रसाद के रुप मे गाय के दूध से बनी खीर चढ़ाने से समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है और शीघ्र ही सभी कष्टों का निवारण होता है। आज पूजन के बाद कन्याओं को खीर, हलवा या स्वादिष्ट मिठाई भेंट करने से देवी माँ प्रसन्न होती है।
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कुष्मांडा- कुष्मांडा माँ दुर्गा का चैथा रुप है। अपने उदर से माँ कुष्मांडा ने ब्रह्माण्ड को उत्पन्न किया था। पूजन मे माँ को लाल फूल चढ़ाने से माँ प्रसन्न होती है और धन व सुख-समृद्धि का वरदान देती है।
उपाय- माता को इस दिन मालपूआ का प्रसाद चढ़ने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन कन्याओं को रंग बिरंगे रिबन, वस्त्र भेंट मे देने से धन की वृद्धि होती है।
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स्कंदमाता- की पूजा से बुरी ताकतो और बुरी नजर से मुक्ति मिलती है। देवी की इस पूजा से असंभव काम भी संभव हो जाते हैं।
उपाय- बुरी नजर से मुक्ति पाने के लिए छः चुटकी कुमकुम, छः लौंग, नौ बिंदियां, और छः कौड़ियां लाल कपड़े में लपेट कर नदी में विसर्जित करें।
कमल गट्टे, दशी घी, सफेद बर्फी में मिला कर 21 आहुति दें।
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कात्यायनी- माँ कात्यायनी मन की शक्ति की देवी है। इनकी उपासना से सभी इन्द्रियों को वश में किया जा सकता है।
उपाय- आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानि शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि को माता महा लक्ष्मी के प्रिय वृक्ष बिल्व यानि बेल के वृक्ष के अभिमंत्रण का विधान है शास्त्रों मे कहा गया है-
‘वनस्पतिस्तववृक्षोंथबिल्वः’-माता महालक्ष्मी का प्रिय वृक्ष बिल्व है नवमी के तीन दिन पहले षष्ठी सप्तमी और अष्टमी तिथियों मे बेल के पेड़ के निकट जाकर उस वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। बेल के पेड़ की दक्षिण- पश्चिम दिशा में खड़े होकर उत्तर पूर्व की ओर मुंह करके बेल के वृक्ष की धूप, दीप, नवैद्य से पूजा करनी चाहिए और तीन दिन बाद बेल के पेड़ की उत्तर पूर्व दिशा की कोई छोटी सी टहनी तोड़कर घर लानी चाहिये इस टहनी को अपनी तिजोरी मे रखने से लगातार धन बढ़ता है। इस बार षष्ठी तिथि 7 अक्टूबर को है और नवमी तिथि 10 अक्टूबर को चूंकि नवमी तिथि को अतिगंड योग पड़ रहा है। लिहाजा अष्टमी तिथि को ही बेल की डाल घर ले आना चाहिये।
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कालरात्रि- बाधाओं को दूर करने और सिद्धि प्राप्त करने के लिए माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। माँ की पूजा करने से कभी डर या भय नहीं होता।
उपाय- कच्चे आटे की लोई में गुड़ भरकर पानी में बहायें।
एक मिट्टी की कोरी हांड़ी में दूध, दही, घी, शक्कर, मिश्री, कपूर और शहद डाल कर उस हांडी के आगे दुर्गा नवार्ण मन्त्र का जाप कर जमीन में गाड़ दे।
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महागौरी- माँ महागौरी की कृपा हो गयी तो जीवन में कभी भी धन और वैभव की कमी नही होती है।
उपाय- मिट्टी को घी और पानी में सानकर नौ गोलियां बना उन्हें छांव में सुखा कर पीले सिन्दूर के साथ कटोरी में रखकर देवी को चढ़ायें। नवमी के दिन इन गोलियों को नदी में बहा दें। सिन्दूर उसमें से निकाल ले और काम पर जाते समय टीका लगायें। धन और वैभव प्राप्त होगा।
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सिद्धिदात्री- सिद्धिदात्री सुख समृद्धि और धन की प्रतीक हैं। इनमें संसार की सारी शक्तियां समाहित हंै। ये भक्तों की सभी इच्छायें पूरी करती हैं।
उपाय- घर की मालकिन तुलसी का पौधा लाकर, अपने हाथ से सवा दो हांथ ऊंचाई पर लगायें। नित्य सिंदूर, जल चढ़ायें और कृष्ण पक्ष की अष्टमी से चतुर्दशी तक दीपक जरुर जलायें। सभी इच्छाओं की पूर्ती होगी और घर में खुशहाली आयेगी।
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