
भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार व ज्योतिष शास्त्र द्वारा निर्मित हिंदु पंचाग के अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashtmi) का पर्व भारत वर्ष में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। कालाष्टमी को ‘भैरवाष्टमी’ के नाम से भी जाना जाता है। भगवान भोलेनाथ के भैरव रूप के स्मरण मात्र से ही सभी प्रकार के पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। यह मान्यता है की कालाष्टमी (Kalashtmi) के दिन भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। कालाष्टमी (Kalashtmi) के दिन भगवान भैरव की पूजा व उपासना से भक्त को मनोवांछित फल मिलता है। अत: भैरव जी की पूजा-अर्चना करने व कालाष्टमी के दिन व्रत एवं षोड्षोपचार पूजन करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन कालभैरव के दर्शन एवं पूजन से मनवांछित फल प्राप्त होता है।
काल भैरव मंत्र
“ह्रीं वटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय ह्रीं”
“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं हरिमे ह्रौं क्षम्य क्षेत्रपालाय काला भैरवाय नमः”
कालाष्टमी व्रत कथा
