लक्ष्मी का अवतार कहे जाने वाली माता सीता का विवाह अयोध्या के राजा रदशरथ पुत्र श्री राम से हुआ था | यह तो हम सब जानते ही हैं | इस महीने की 13 मई को सीता नवमी (Sita Navmi 2019) है | पर क्या आपको पता है की माता सीता के जन्म के बारे में पता है?

एक कथा के अनुसार, मिथिला राज्य में एक वक्त ऐसा आया की कईं वर्षों से वहाँ पर बारिश नहीं हो रही थी | इस वजह से वहाँ के राजा जनक बहुत चिंतित हो गए | ऋषियों से इस बात को लेकर बात कर की, और ऋषियों ने राजा जनक को यह कहा की अगर राजा खुद हल चलायें तो इंद्र देव प्रसन्न होंगे | फिर राजा दशरथ ने हल भी चलाया, हल चलते समय उनका हल एक कलश से टकराया | उस कलश में एक सुंदर कन्या थी | राजा की खुद की कोई सन्तान नहीं थी, इसीलिए वह हर्षित हुए | उन्होंने उस कन्या का नाम सीता रखा | इस प्रकार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता प्रकट हुईं थीं तभी से इस दिन सीता नवमी (Sita Navmi 2019) मनाई जाने लगी | इस दिन को सीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
पूजा विधि
अष्टमी के दिन ही पूजा और व्रत के लिए शुद्ध भूमि पर मंडप लगाएं | यह मण्डप सौलह, आठ अथवा चार स्तम्भों का होना चाहिए | फिर बीच में श्री राम और माता सीता को स्थापित करें | सीता नवमी (Sita Navmi 2019) के दिन फिर स्नान कर श्री राम और माता सीता का पूजन करें | दशमी के दिन फिर पूजन करने के बाद विसर्जित करें |
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