भारतीय ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य का राशि परिवर्तन करना एक अहम घटना माना जाता है। सूर्य के राशि परिवर्तन से जातकों के राशिफल पर तो असर पड़ता ही है साथ ही सूर्य के इस परिवर्तन से सौर वर्ष के मास की गणना भी की जाती है। कहते हैं सूर्य देव पूरे वर्ष में एक एक कर सभी राशियों में प्रवेश करते हैं उनके इस चक्र को संक्रांति कहा जाता है। मेष राशि से वृषभ (Taurus) राशि में सूर्य का संक्रमण वृषभ संक्रांति कहलाता है। वृषभ संक्रांति का त्योहार ज्येष्ठ महीने की शुरुआत को भी दर्शता है। इस दिन त्रिवेणी में स्नान करना शुभ माना जाता है और सूर्य देव और भगवान शिव के ‘ऋषभरुद्र’ स्वरुप की पूजा की जाती है।
वृषभ संक्राति पर दान पुण्य का बड़ा ही महत्व होता है। कहते हैं इस दिन दान दक्षिणा देने से बहुत पुण्य मिलता है और इस दिन गौ दान को बहुत ही ख़ास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि संक्रांति पर गौ दान करना बहुत ही लाभकारी होता है। बिना दान के वृषभ संक्रांति की पूजा अधूरी होती है। माना जाता है कि गौ दान के अलावा वृषभ संक्रांति पर अगर किसी ब्राह्मण को पानी से भरा घड़ा दान किया जाए तो इससे विशेष लाभ मिलता है। वृषभ का अर्थ होता है बैल साथ ही भगवान शिव का वाहन नंदी भी बैल है इसलिए वृषभ संक्रांति का अपना एक अलग ही महत्व होता है। भारत के विभिन हिस्सों में वृषभ संक्रांति को अलग अलग नामों से जाना जाता है। दक्षिण भारत में वृषभ संक्रांति को वृषभ संक्रमन के रूप में जाना जाता है। वहीं सौर कैलेंडर के अनुसार इस त्योहार को नए मौसम की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। तमिल कैलेंडर में इसे वैगसी मासुम का आगमन कहा जाता है तो मल्यालम कैलेंडर में ‘एदाम मसम’। बंगाली कैलेंडर में इसे ‘ज्योत्तो मश’ का प्रतीक माना जाता है।
वृषभ संक्रांति
महत्व एवं पूजा विधि –
वृषभ संक्रांति में व्रत
रखने वाले व्यक्ति को रात्रि में जमीन पर सोना होता है। संक्रांति के दिन गरीबों, ब्राह्मणों और
जरुरतमंदों को दान आदि करना बहुत लाभकारी माना जाता है। इसलिए बहुत से लोग इस दिन
जरुरत की वस्तुएं और खान पान की चीजों का दान करते है। संक्रांति मुहूर्त के पहले
आने वाली 16 घड़ियों को बहुत
शुभ माना जाता है। इस समय में दान, मंत्रोच्चारण, पितृ तर्पण और शांति पूजा करवाना भी बहुत अच्छा माना जाता
है। इसके अलावा इस समय में गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान करना भी बहुत शुभ
माना जाता है।
वृषभ संक्रांति उत्सव
वृषभ संक्रांति पर दूध के रुप में उपहार देने वाली गायों को शुभ माना जाता है। भक्त विशेष रूप से इस शुभ दिन विष्णु मंदिर पर जाते हैं और भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें अच्छे और बुरे के बीच चुनाव करने का ज्ञान दें। पूरे देश में पवित्र स्थान वृषभ संक्रांति के लिए तैयारी की जाती है क्योंकि भक्त इस दिन संक्रमन स्नान करते हैं। पितृ तर्पण के लिए भी वृषभ संक्रांति शुभ मानी जाती है ओडिशा में भक्त इस दिन ब्रुश संक्रांति के रूप में मनाते हैं। वह इस दिन नदियों और समुद्र में स्नान करने जातें हैं ताकि पितृ तर्पण कर सकें। इस विशेष स्नान को संक्रमन स्नान के नाम से जाना जाता है जिसके तहत परिवार के पूर्वजों की आत्मा की शांति को लिए किया जाता है। इस दिन भगवान सूर्य को भी स्मानित करने के लिए स्नान दान किया जाता है।
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