नवरात्री हिन्दुओ का पर्व है जिसमे माँ दुर्गा जी के प्रति आस्था प्रकट की जाती है, नवरात्री का अर्थ है नौ राते, इन नौ रातो में भक्त पुरे मन से देवी शक्ति (लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा) के नौ रूपों की उपासना करते है. साल में नवरात्री चार बार चैत्र, आषाढ़, आश्विन, माघ महीने में आती है, लेकिन चैत्र नवरात्री और आश्विन महीने की नवरात्रि प्रमुख है पुरे भारत में खासकर उत्तरी भारत मे नवरात्री भक्त बहुत ही ख़ुशी से मनाते है!
पहला नवरात्र – माँशैलपुत्री मंत्र – ॐ हरीम श्री शैलपुत्रीदुर्गाये नमः
दूसरा नवरात्र – माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र – ॐ हरीम श्री ब्रह्मचारिणीदुर्गाये नमः
तीसरा नवरात्र – माँ चंद्रघंटा मंत्र – ॐ हरीम श्री चंद्रघंटा दुर्गाये नमः
चौथा नवरात्र – माँ कुष्मुण्डा मंत्र – ॐ हरीम श्री कुष्मुण्डादुर्गाये नमः
पाचवां नवरात्र – माँ स्कंदमाता मंत्र – ॐ हरीम श्री स्कंदमाता दुर्गाये नमः
नौवां नवरात्र – माँ सिद्धिदात्री मंत्र – ॐ हरीम श्री सिद्धिदात्रीदुर्गाये नमः
नवरात्रों के शुरुआत में सबसे पहले कलश स्थापना की जाती है। आइये जानते है पूजा विधि और कलश स्थापना कैसे होती है |
कलश स्थापना करने की विधि :-
जिस स्थान पर कलश स्थापना करनी है उस जगह पर सफाई के बाद थोडा गंगा जल छिड़क कर किसी कपड़े से अच्छी तरह से साफ़ करले साफ़ करने के बाद उस जगह पर थोड़े गोबर और मिटटी का लेप लगा दे। फिर एक मिटटी के बर्तन में थोड़ी मिटटी डाल कर स्थापित करे और उसमे जौंफैला दे जौं फैलाने के बाद थोड़ी सी और मिटटी डालकर थोडा गेहू डाल दे। इसके बीच में थोड़ी सी जगह बनाकर चावल फैला दे। इसके साथ ही जो कलश आपको स्थापित करना है उस कलश को चावलो पर रख दे।
इस कलश में पानी भर कर गंगा जल मिला दे। कलश पर मोली बाँध कर कलश में हल्दी की 7 गांठेलगाये और उसमे सुपारी, सिक्का, चावल, फूल, 5 कोडिया, कमल गट्टे के बीज, कुशा व इत्र डाल दे।कलश पर आम या अशोक के जुड़े हुए 5 साबुत पत्ते स्थापित करे। कलश पर एक कटोरी में चावल भर के रखें ।
नारियल पर माता की लाल चुन्नी या कोई लाल कपडा लपेट दे और मोली से बांध दे। नारियल का जटा वाला हिस्सा अपनी तरफ रखते हुए चावल वाली कटोरी के ऊपर स्थापित करे। इस प्रकार आप विधि पूर्वक अपने घर पर कलश स्थापना करे। माता रानी आपके जीवन में सुख समृद्धि की वर्षा करेंगी।
पूजा की विधि –
घर में दुर्गा माता की मूर्ति या तस्वीर के आगे कलश स्थापना के बाद गणेश जी का मन में सबसे पहले ध्यान करे।
गणेश जी का ध्यान करने के बाद। माता रानी की पूजा करे और उनसे अपने घर में नवरात्रो में विराजमान होने की विनती करे। ऊपर बताये गए माँ के 9 स्वरूपों की दिनों के अनुसार मंत्रो का जाप करे। सच्चे दिल से माता रानी की पूजा करे और व्रत करे। नौ दिन तक माता के सामने घी के दीपक से अखंड ज्योत जलाये। सुबह शाम माता की आरती करे और भोग लागए व प्रशादको ग्रहण करे। आरती करते समय दीपक को चौदह बार घुमाएं जिसमे चार चरणों में, दो बार नाभि पर एक बार मुख पर तथा सात बार पुरे शरीर पर दीपक घुमाये।
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