जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाया जाता है| अष्टमी तिथि का महत्व इसलिये है क्योंकि वह वास्तविकता के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष स्वरूपों में सुन्दर संतुलन को दर्शाता है|
भगवान श्रीकृष्ण का अष्टमी तिथि के दिन जन्म होना यह दर्शाता है कि वे आध्यात्मिक और सांसारिक दुनिया में पूर्ण रूप से परिपूर्ण थे | वे एक महान शिक्षक और आध्यात्मिक प्रेरणा के अलावा उत्कृष्ट राजनीतिज्ञ भी थे |
भगवान श्री कृष्ण का सबसे अद्भुत गुण यह है कि वे सभी संतों में सबसे श्रेष्ठ ओर पवित्र होने के बावजूद वे अत्यंत नटखट भी थे |
भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा और ज्ञान हाल के समय के लिये सुसंगत हैं क्योंकि वे व्यक्ति को सांसारिक कायाकल्पो में फँसने नहीं देती और संसार से दूर होने भी नहीं देती | वे एक थके हुए और तनावग्रस्त व्यक्तित्व को पुनः प्रज्वलित करते हुये और अधिक केंद्रित और गतिशील बना देती है|
व्रजमण्डल में श्रीकृष्णाष्टमी के दूसरे दिन भाद्रपद-कृष्ण-नवमी में नंद-महोत्सव अर्थात् दधिकांदौ श्रीकृष्ण के जन्म लेने के उपलक्ष में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान के श्रीविग्रह पर हल्दी, दही, घी, तेल, गुलाबजल, मक्खन, केसर, कपूर आदि चढाकर ब्रजवासी उसका परस्पर लेपन और छिडकाव करते हैं।
कृष्णा जी के बारे में –
– उनका जन्म अष्टमी के दिन मथुरा के एक कारावास में हुआ।
– उनके जन्मदिन कोजन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
– इस दिन भगवन कृष्ण और राधा जी की पूजा की जाती है।
– वे अपने माता-पिता वासुदेव और देवकी की आठवीं संतान थे।
– माता यशोदा और नन्द बाबा उनके पालक माता पिता थे।
– उनका बचपन गोकुल, वृन्दावन और आदि जगहों में बीता।
– कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध करके पाप का नाश किया।
– महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई।
– इसी युद्ध में उन्होंने अर्जुन को भगवद्गीता का उपदेश दिया।
– भगवान् कृष्ण सौराष्ट्र स्थित द्वारिका नगरी के राजा थे।
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