मान्यता है कि यदि बुधवार के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा की जाये तो भगवान गणेश जी का आशीर्वाद अवश्य मिलता है।
प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेशजी की ही पूजा की जानी अनिवार्य बताई गयी है। देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न के पूरा करने के लिए गणेश जी की अर्चना सबसे पहले करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि देवगणों ने स्वयं उनकी अग्रपूजा का विधान बनाया है। शास्त्रों में एक बार जिक्र आता है कि भगवान शंकर त्रिपुरासुर का वध करने में जब असफल हुए, तब उन्होंने गंभीरता पूर्वक विचार किया कि आखिर उनके कार्य में विघ्न क्यों पड़ा? तब महादेव को ज्ञात हुआ कि वे गणेशजी की अर्चना किए बगैर त्रिपुरासुर से युद्ध करने चले गए थे। इसके बाद शिवजी ने गणेशजी का पूजन करके उन्हें लड्डुओं का भोग लगाया और दोबारा त्रिपुरासुर पर प्रहार किया, तब उनकी विजय हुई।
हिन्दू शास्त्रों के एक कथा के अनुसार चूंकि भगवान श्री गणेश का शरीर विशालकाय और मुंह की जगह हाथी का मुख लगा हुआ था तो कोई कन्या श्री गणेश से विवाह को तैयार नहीं हो रही थी। इस पर भगवान गणेश जी बहुत ही गुस्सा हो गये और अपने वाहन मूषक को समस्त देवी-देवताओं के विवाह में विघ्न डालने को कहा। सारे देवता परेशान हो गये किसी का विवाह ठीक ठाक से संपन्न नहीं हो रहा था। कभी मंडप जमींदोज हो जाते कभी बारात को आगे प्रस्थान करने के लिये रास्ता ही नहीं बचता। तंग आये देवताओं ने भगवान ब्रह्मा से कोई उपाय करने की गुहार लगाई तब ब्रह्मा जी ने दो कन्याओं ऋद्धि और सिद्धी की रचना की और भगवान गणेश से उनका विवाह करवाया।
गणेश भगवान की पूजा विधि
प्रातः काल स्नान ध्यान आदि से शुद्ध होकर सर्व प्रथम ताम्र पत्र के श्री गणेश यन्त्र को साफ़ मिट्टी, नमक, निम्बू से अच्छे से साफ़ किया जाए। पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के आसान पर विराजमान हो कर सामने श्री गणेश यन्त्र की स्थापना करें।
शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, लाल मोली, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, भगवान गणेश जी की आरती करे।
अंत में भगवान गणेश जी का स्मरण कर ॐ गं गणपतये नमः का 108 बार मंत्र का जाप करना चाहिए।
ग्रह दोष और शत्रुओं से बचाव के लिए-
Thanks for your kind advice.
Regards