
इस भौतिक चरा-चर जीवन में हर कोई अपने आशियाने का सपना संजोता है। घर चाहे महल हो या झोपड़ी, उसे अपना कहने में जो सुकून मिलता है वो वाकई अद्भुत है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसके जहन में अपना खुद का घर (house) का खरीदने का खयाल ना पनपता हो। लेकिन दिनों-दिन बढ़ती हुई महंगाई के मद्देनजर यह खयाल भी धुंधला पड़ता जाता है। अगर आप अपना घर (house) ना खरीद पा रहे हों और ऐसे हालातों में आप रुपये की गिरते मूल्य को दोषी ठहराते हैं तो आपको यह जानकर थोड़ा अचंभा अवश्य होगा कि यह सब किस्मत की बात है। महंगाई का बढ़ना या घटना इसके लिए बिल्कुल जिम्मेदार नहीं है।
