इस भौतिक चरा-चर जीवन में हर कोई अपने आशियाने का सपना संजोता है। घर चाहे महल हो या झोपड़ी, उसे अपना कहने में जो सुकून मिलता है वो वाकई अद्भुत है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसके जहन में अपना खुद का घर (house) का खरीदने का खयाल ना पनपता हो। लेकिन दिनों-दिन बढ़ती हुई महंगाई के मद्देनजर यह खयाल भी धुंधला पड़ता जाता है। अगर आप अपना घर (house) ना खरीद पा रहे हों और ऐसे हालातों में आप रुपये की गिरते मूल्य को दोषी ठहराते हैं तो आपको यह जानकर थोड़ा अचंभा अवश्य होगा कि यह सब किस्मत की बात है। महंगाई का बढ़ना या घटना इसके लिए बिल्कुल जिम्मेदार नहीं है।
कहते हैं किस्मत से ज्यादा कभी किसी को नहीं मिलता और आपकी किस्मत में खुद का आशियाना है कि नहीं, यह बात आपकी जन्म कुंडली का आंकलन कर जानी जा सकती है। ज्योतिषाचार्य इन्दु प्रकाश जी का कहना है कि आपकी कुंडली, आपके भविष्य आपके वर्तमान और आपके अतीत का आईना होती है। आपकी कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति यह बताने के लिए काफी है कि आपको भवन, वाहन और भूमि की सुविधा उपलब्ध होगी या नहीं। कुंडली का चतुर्थ स्थान, भवन, वाहन और भूमि जैसी अचल संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। जीवन में जब कभी भी मूल राशि के स्वामी या चंद्रमा से गुरु, शुक्र या चतुर्थ स्थान के स्वामी का शुभ योग बनता है तब व्यक्ति का अपना आशियाना बनाने का सपना हकीकत में तब्दील होने लगता है।
ज्योतिष शास्त्र के
अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली देखकर यह बताया जा सकता है कि उसके पास स्वयं का
घर होगा या नहीं या फिर वह कितने मकानों का मालिक होगाकुछ भाग्यवानों को यह सुख कम
आयु में ही प्राप्त हो जाता है। तो कुछ लोग पूरी जिंदगी किरायेदार होकर ही व्यतीत
कर देते है। पूर्व जन्म के शुभाशुभ कर्मों के अनुसार ही भवन सुख की प्राप्ति होती
है। जन्मपत्री में भूमि का कारक ग्रह मंगल है। जन्मपत्री का चौथा भाव भूमि व मकान
से संबंधित है। चतुर्थेश उच्च का, मूलत्रिकोण, स्वग्रही, उच्चाभिलाषी, मित्रक्षेत्री शुभ ग्रहों से युत हो या शुभ ग्रहों से दृष्ट
हो तो अवश्य ही मकान सुख मिलेगा।
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