
जब अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है, तो उसे शनिश्चरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya) कहा जाता है। यह तिथि शनि देव की उपासना और उनके कृपा-प्राप्ति का सबसे श्रेष्ठ अवसर मानी जाती है।
2026 में शनिश्चरी अमावस्या 18 जुलाई (शनिवार) को पड़ रही है। इस दिन भगवान शनि की पूजा के साथ-साथ भगवान शिव और पितरों की आराधना का विशेष महत्व रहेगा। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना बढ़कर मिलता है।
🕉 शनिश्चरी अमावस्या का महत्व
शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। वे व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। अगर कोई व्यक्ति जीवन में लगातार संघर्ष, आर्थिक हानि, स्वास्थ्य समस्याओं या बाधाओं से जूझ रहा है, तो शनिश्चरी अमावस्या के दिन की गई पूजा और उपाय अत्यंत फलदायी होते हैं।
इस दिन शनि देव की पूजा से:
- साढ़े साती और ढैय्या के कष्ट कम होते हैं।
- कालसर्प दोष और अन्य शनि संबंधी अशुभ योगों का प्रभाव घटता है।
- जीवन में स्थिरता और सकारात्मकता बढ़ती है।
इस दिन क्या करें?
- सुबह स्नान कर पीपल के वृक्ष की पूजा करें और उसमें सरसों का तेल चढ़ाएं।
- शनि देव के मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का 108 बार जाप करें।
- जरूरतमंदों को काले वस्त्र, तिल, उड़द, या लोहे की वस्तुएं दान करें।
- भगवान शिव की पूजा और जलाभिषेक करें — इससे शनि देव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
- अपने पितरों का तर्पण करें ताकि पूर्वजों का आशीर्वाद भी साथ मिले।
सिद्ध शनि यंत्र धारण करने का शुभ समय
अगर आप शनि की साढ़े-साती या ढैय्या से परेशान हैं, तो शनिश्चरी अमावस्या का दिन शनि यंत्र (Shani Yantra) धारण करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
यह यंत्र शनि के दुष्प्रभावों को कम कर जीवन में स्थिरता और सफलता लाता है।
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