October 2018

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नवरात्र के चौथे दिन करें माता कुष्मांडा की अर्चना

चतुर्थी नवदुर्गा: माता कूष्मांडा नवरात्र के चौथे दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है। अपनी छोटी सी हसी से ब्राह्मण की रचना करने के कारण माता का नाम कुष्मांडा पड़ा। माँ कुष्मांडा की 8 भुजाये है जिसके कारण इन्हे अष्ट भुजा देवी भी कहा जाता है। कूष्मांडा माता की आरती कुष्मांडा जय जग सुखदानी। […]

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तृतीय नवदुर्गा: माता चंद्रघंटा

माँ दुर्गा जी का तीसरा स्वरुप माँ चंद्रघंटा है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटा के आकार का आधा चंद्र है जिसके कारण इन्हे चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि माता के घंटे से सभी दुष्ट, दैत्य – राक्षशो का नाश हो जाता है। माँ चंद्रघंटा को स्वर की देवी

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दुसरे नवरात्र के दिन करें ब्रह्मंचारिणी की पूजा

द्वितीय नवरात्र : माता ब्रह्मचारिणी नवरात्री में माता रानी के नौ स्वरुपों में दूसरा स्वरुप है माँ ब्रह्मचारिणी। माँ ब्रह्मचारिणी जी का विवाह शिव जी से होने के कारण माता रानी का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। ब्रह्मचारिणी दो शब्दों से मिलकर बना ब्रह्मा यानि तपस्या और चारिणी मतलब आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी का पूरा अर्थ है

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पहले नवरात्री में किन देवी को पूजा जाता है ?

पहला नवरात्र : माता शैलपुत्री नवरात्री में माता जी के नौ स्वरूपों में पहला स्वरुप है माँ शैलपुत्री। हिमालय के घर पुत्री स्वरुप जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवरात्री में माँ शैलपुत्री को ही पहले दिन पूजा जाता है। शैलपुत्री माता रानी की आरती। शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।

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नवरात्री में कलश स्थापना और पूजा की पूरी विधि

नवरात्री हिन्दुओ का पर्व है जिसमे माँ दुर्गा जी के प्रति आस्था प्रकट की जाती है, नवरात्री का अर्थ है नौ राते, इन नौ रातो में भक्त पुरे मन से देवी शक्ति (लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा) के नौ रूपों की उपासना करते है. साल में नवरात्री चार बार चैत्र, आषाढ़, आश्विन, माघ महीने में आती है,

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जानिये क्या है नीलम रत्न के फायदे और नुकसान ?

नौ ज्योतिषीय रत्नों में से नीलम सबसे प्रभावी और सबसे जल्दी असर करने वाला रत्न हैं। नीलम रत्न धारण वालो के लिए नीलम रत्न धन में लाभ, समस्या का समाधान, अप्रत्याशित लाभ आदि के साथ तुरंत प्रभाव दिखाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, नीलम शनि का रत्न है। शनि एक दैत्य ग्रह है और शनि

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बुधवार को क्यों पूजे जाते हैं श्री गणेश?

मान्यता है कि यदि बुधवार के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा की जाये तो भगवान गणेश जी का आशीर्वाद अवश्य मिलता है। प्रत्येक शुभ कार्य में सबसे पहले भगवान गणेशजी की ही पूजा की जानी अनिवार्य बताई गयी है। देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न के पूरा करने के लिए गणेश जी

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