गरभा नृत्य गुजरात राज्य का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है, जो गीत, नृत्य और नाटक की समृद्ध परम्परा का निरुपण करता है। यह मिट्टी के मटके, जिसे गरबो कहते हैं, को पानी से भर कर इसके चारों ओर महिलाओं द्वारा किया जाने वाला नृत्य है। मटके के अंदर एक सुपारी और चाँदी का सिक्का रखा जाता है, जिसे कुम्भ कहते हैं। इसके ऊपर एक नारियल रखा जाता है। नृत्य करने वाली महिलाएँ मटके के चारों ओर गोल घूमती हैं और एक गायक तथा ढोलक या तबला बजाने वाला व्यक्ति संगीत देता है। प्रतिभागी एक निश्चित ताल पर तालियाँ बजाते हैं। गरबा नृत्य गुजराती महिलाओं द्वारा किया जाने वाला गोलाकार नृत्य रूप है हालांकि गरबा पुरे भारत में किया जाता है खाशकर नवरात्र के पर्व पर और यह नृत्यशरद पूर्णिमा, बसंत पंचमी और अन्य उत्सवों में भी किया जाता है। ‘गरभा’ का जन्म एक दीपक के अनुसार किया गया है, जिसे गर्भदीप कहते हैं, जिसका अर्थ है मटके के अंदर रखा हुआ दीपक।
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