ज्योतिषशास्त्र के अनुसार काल सर्प दोष को एक अशुभ योग कहा जाता है
माना जाता है कि यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में राहु और केतु ग्रह के बीच में
सभी ग्रह आ जाए तो काल सर्प योग बनता है। कालसर्प योग को ज्योतिषशास्त्र व धर्म
शास्त्र के अनुसार पूर्वजन्मों का कर्म कहा जाता है। यह योग व्यक्ति की
जन्मकुंडली में तब बनता है जब व्यक्ति ने अपने पिछले जन्म में बुरे कर्म किये होते
हैं जैसे सांप या किसी और निर्दोष जीव की हत्या तो उसके अगले जन्म में दंड के रूप
में उसकी कुंडली में काल सर्प योग बन जाता है। ऐसा भी माना जाता है किअगर किसी
मनुष्य के पिछले जन्म की कोई इच्छा अधूरी रह जाती है तो उसके अगले जन्म में उसकी
इसी इच्छा की पूर्ति के लिए उसकी कुंडली में काल सर्प दोष का योग बन जाता है।
प्रमाणित रूप से ज्योतिषाचार्य इन्दु
प्रकाश जी कहते हैं कि हर जातक के लिए कालसर्प
योग सदैव दुष्प्रभावी नहीं होता अपितु ऐसा देखा गया है कि कालसर्प योग जातक को बड़ी
से बड़ी शिखर चोटी तक पहुंचा देता है।यदि किसी भी जातक की जन्मकुंडली में राहु पंचम, द्वितीय, अष्टम अथवा सप्तम
भाव में हो तभीयह आपके लिए अधिक कष्टदायक बनता है। राहु की विभिन्न भावों में
स्थिति के अनुसार 12 प्रकार के कालसर्प योग बनते हैं जिनमें से मुख्य दो भावों में
बने कालसर्प दोष अशुभ माने जाता हैं। जन्मकुंडली में अशुभ कालसर्प दोषके अनेकों
लक्षण मिलते है।जैसे–कि जातक के जीवन में कई अड़चनों का कार्य करता है।कार्य मेंरुकावट,कार्य का बनते-बनते बिगड़
जाना,संतान पक्ष में परेशानियां,जीवन में सदैव धोखा खाना या धोखा देना, पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगना, दांपत्य जीवन में
दूरियां बनी रहना, अधिक सपनों का दिखना या सपनों में सांप का दिखना इत्यादि।
अनेकों जन-जीवन से जुडी परेशानियों से व्यक्ति ग्रसित रहता है।
उपाय – दूध में मिश्री
के दाने और भांग डाल कर रोज़ाना शिवलिंग पर अर्पित करने से इस दोष से प्रभावित जातक
का क्रोध शांत कर सकते हैं।
यदि आपकी जन्मकुंडली में कालसर्प दोष हो या किसी भी समास्या से गुजर रहे हैं या भौतिक सुखों से वंचित हैंतो आप विश्वविख्यात ज्योतिषाचार्य इन्दु प्रकाश जी (top astrologer in Gurgaon)से संपर्क कर सकते हैं या निचे दिये गये लिंक पर क्लिक कर अपनी हर समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
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