Kanwad_yatra

कहाँ से हुई कांवड़ यात्रा की शुरुआत ?

श्रावण माह में कईं शिव भक्त कांवड़ यात्रा (Kanwad Yatra) के लिए निकल जाते हैं | सडकों पर भक्तों की लम्बी-लम्बी कतारें कावड ले जाते हुए देखने को मिलते हैं | श्रावण का यह महिना सभी भक्तों का स्वाभाव भक्तिमय कर देता है | यह महिना खास तौर पर भगवान शिव जी (Shiv Ji) को ही समर्पित है | इस महीने में सभी भक्त शिव जी को प्रसन्न करने में लगे रहते हैं | इस महीने में भक्त कांवड़ ले जा कर भगवान शिव (Lord Shiv Ji) का जलाभिषेक करते हैं | मान्यता है की इससे शिव जी बहुत प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं |

कावड़ (Kanwad Yatra) ले जा रहे कावड़ियों के लिए नियम भी बहुत कठिन होते हैं | इन कठिन नियमों का पालन कर भक्त अपने अंदर संकल्प शक्ति का निर्माण भी करते हैं, जिससे उन्हें जीवन सरलता से जीने में बहुत मदद मिलती है |

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मान्यता है की कांवड़ यात्रा की शुरुआत भगवान परशुराम (Parshuram) ने अपने आराध्य देव शिव के पूजन के लिए पुरा महादेव में मंदिर की स्थापना कर कांवड़ में गंगाजल (Gangajal) के द्वारा पूजन से की थी | माना जाता है की श्री राम ने बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर गंगाजल चढ़ाया था। और साथ ही ऐसी मान्यता भी है की महाराज रावण ने भी कांवड़ यात्रा की थी |

साथ ही शिव जी पर जल चढाने से  मानसिक प्रसन्नत (Happiness), मनोरोग के निवारण, आर्थिक समस्या (Money Problems) में कांवड़ यात्रा करने से लाभ मिलता है |

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