क्या है विष्णु जी के वराह अवतार की कहानी

कहा जाता है की धरती पर जुर्म बढ़ जाता है तो भगवान (God) धरती पर अवतार लेकर बुराई का सर्वनाश करने आते हैं | ऐसे ही एक अवतार थे वराह (Varaha Avtaar), जिन्हें भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के दस अवतारों में से तीसरा अवतार कहा जाता है | इस अवतार का जन्म भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन हुआ था, तभी से यह दिन वराह जयंती (Varaha Jayanti) के रूप में मनाया जाता है | इस बार यह जयंती 1 सितम्बर, 2019 के दिन मनायी जाएगी | यह अवतार का मुख एक सूअर जैसा है और इनका जन्म मुख्यत: हरिण्याक्ष नामक राक्षस का वध करने के लिए हुआ था |

Varaha Avtaar_Lord Vishnu

एक कथा के अनुसार, असुर हरिण्याक्ष ने धरती को चुराकर पाताल लोक सागर में छुपा दिया था | तब विष्णु भगवान (God) वराह अवतार में प्रकट हो कर धरती को बचाते हैं | वे असुर का वध कर धरती को सागर से बाहर निकालते हैं और भूदेवी की स्थापना करते हैं |

तभी से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के वराह रूप को पूजा जाता है | यह अवतार बुराई पर अच्छाई का प्रतिक है | इनकी पूजा करने से सुख, समृद्धि और आश्वर्य मिलता है |

वराह जयंती (Varaha Jayanti) के शुभ दिन वराह अवतार की पूजा करने के लिए सबसे पहले प्रात: उठ कर स्नान आदि कार्यों से निवृत हो जाएँ |

– फिर भगवान वराह (Varaha Avtaar) की प्रतिमा के समक्ष एक कलश रखें | उस कलश में आम के पत्ते रख दें फिर उन पत्तों पर एक नारियल रखें |

– इसके बाद भगवान को फूल अर्पित करें और जल चढ़ाएं |

– फिर श्रीमद भागवद गीता (Shreemad Bhagwat Gita) का पाठ कर वराह अवतार की उपासना का संकल्प लें |

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