करवा चौथ : कैसे करें सुहाग की लम्बी उम्र की कामना

किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्त्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है। करवा चौथ (Karwa Chauth) व्रत खास कर स्त्रियां अपने पति की लम्बी उम्र यानि अपने सुहाग के लिए रखती हैं | यदि आप व्रत का रखना चाहते है तो करवा चौथ पर्व के एक दिन पूजन की सभी सम्पूर्ण सामग्री को एकत्रित कर लें। व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहन लें तथा शृंगार भी कर लें। इस अवसर पर करवा की पूजा-आराधना कर उसके साथ शिव-पार्वती की पूजा का विधान है क्योंकि माता पार्वती ने कठिन तपस्या करके शिवजी को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिष दोनों ही दृष्टि से महत्व है। व्रत के दिन प्रात: स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोल कर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें।

उपवास के दौरान यदि कर बैठते हैं गलती

1- करवा चौथ (Karwa Chauth) उपवास के दौरान यदि आप जाने- अनजाने में गलती से रसास्वाद भोजन खा लेते हैं तो घबराना नहीं चाहिए इस दौरान आप माँ भगवती पार्वती जी से क्षमा मांग कर व्रत पूर्ण कर अपने पति की लम्बी उम्र की कामना कर सकते हैं |

2 – उपवास के दौरान यदि व्यक्ति के मुँह से गलती से कुछ अशब्द निकल जाते हैं तो व्रत का भंग होना माना जाता है, ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति शिव मन्त्र का जाप कर और भगवान शिव से व्रत से मिलने वाले पूर्ण फल की कामना कर सकता है।

3 – व्रत के दौरान यदि आप दवाई खा लेते है तो आप घबराये मत क्योंकि रोग से जुड़े व्यक्ति के लिए हमारे शास्त्रों में व्रत टूटना नहीं माना जाता है ऐसे जातकों को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

4 – कहा जाता है की करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth) के दिन निर्जल रहना पड़ता है परन्तु यदि गलती से कोई भी जातक यानि सौभाग्यवती महिलाएं पानी ग्रहण कर लेती है तो ऐसे स्थिति में आप उस समय करवाचौथ के प्रमुख पूजनीय देव चन्द्रमा का ध्यान कर छमा यापन कर पूर्ण फल की कामना कर सकते हैं ऐसा करने में जातक को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

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करवा चौथ (Karwa Chauth) पूजन विधि

1. प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृ्त होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें।

2. व्रत के दिन निर्जला रहे यानि जलपान ना करें।

3. व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-

4. प्रातः पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ किया जाता है- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’

5. घर के मंदिर की दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावलों को पीसे। फिर इस घोल से करवा चित्रित करें। इस रीती को करवा धरना कहा जाता है।

6. शाम के समय, माँ पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्री गणेश को विराजमान कर उन्हें लकड़ी के आसार पर बिठाए।

7. माँ पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें।

8. भगवान शिव और माँ पार्वती की आराधना करें और कोरे करवे में पानी भरकर पूजा करें।

9. सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे दिन का व्रत कर व्रत की कथा का श्रवण करें।

10. सायं काल में चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही पति द्वारा अन्न एवं जल ग्रहण करें।

11. पति, सास-ससुर सब का आशीर्वाद लेकर व्रत को समाप्त करें।

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