‘करवा चौथ’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘करवा’ मतलब’ मिट्टी का बर्तन’ और ‘चौथ’ मतलब ‘चतुर्थी’। इस त्योहार पर मिट्टी के बर्तन करवे का विशेष महत्व माना जाता है।
सभी विवाहित स्त्रियां साल भर करवा चौथ का इंतजार करती हैं और व्रत की सभी विधियों को बहुत ही श्रद्धा से पूरा करती हैं। करवा चौथ का त्योहार पति-पत्नी के मजबूत रिश्ते, प्यार और विश्वास का प्रतीक होता है।
करवा चौथ व्रत के नियम और सावधानियां –
– यह व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है।
– व्रत रखने वाली महिलाओं को काला और सफ़ेद वस्त्र नहीं पहनना चाहिए।
– लाल और पीले रंग का वस्त्र पहनना सबसे अच्छा होता है।
– करवा चौथ के दिन पूर्ण श्रृंगार और पूर्ण भोजन करना चाहिए।
– अगर कोई महिला अस्वस्थ है, तो महिला के स्थान पर उनके पति करवा चौथ का व्रत कर सकते हैं।
अगर पति पत्नी में हो दूरियां तो करे सौभाग्य प्राप्ति का उपाय –
– मध्य रात्रि को पीले वस्त्र धारण करें।
– भगवान गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं।
– भगवान गणेश को पीला वस्त्र और हल्दी की दो गांठ अर्पित करें।
– इसके बाद “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 11 बार जाप करें।
– पीले वस्त्र में हल्दी की गांठ बांधकर संभाल कर अपने पास रखे।
अगर होता रहता है बिना किसी कारण आपस में विवाद तो करे सौभाग्य प्राप्ति का दूसरा उपाय –
– मध्य रात्रि को लाल वस्त्र धारण करें।
– गणेश जी को पीपल के पत्ते पर सिंदूर रखकर अर्पित करें।
– इसके बाद “ॐ रिद्धिसिद्धिविनायकाय नमः”मंत्र का 7 बार जाप करें।
– सिंदूर का नियमित प्रयोग करते रहे और सिन्दूर को सुरछित रखे।
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