शुभ दीपावली
दीपावली दीपों का उत्सव है । महान ग्रंथ भविष्योत्तर के 140 में इसे ”दीपालिका“ कहा गया है । मुख्य रुप से यह पर्व पांच दिनो तक चलता है । इसकी शुरुआत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से होती है । जिसमें भगवान धन्नवंतरि की पूजा की जाती है । इसके अगले दिन चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी कहा जाता है । इसमें सुबह के समय तेल लगाकर चिचड़ी (लटजीरा) की पत्तियों को जल में डालकर स्नान किया जाता है । इससे रोग दोष से मुक्ति मिलती है । इसके अगले दिन कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है । इसके बाद क्रमश्षः गोबर्धन पूजा और भाई दूज मनाया जाता है । दीपावली को भारत और विश्वभर में केवल हिन्दु धर्म के लोग ही नहीं मनाते इसे अन्य धर्मों मे भी अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है ।
हिंदु धर्म में मनाई जाने वाली दीपावली
दीपावली का त्योहार हिंदु धर्म के लोगों के लिए एक प्रमुख त्योहार है। जिसे भगवान राम के चैदह वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या नगरी वापस आने की खुशी में मनाया जाता है । हिंदुओं के लिए यह वर्ष में आने वाले त्योहारों में से सबसे बड़ा त्योहार है । ग्रैगोरीयन कैलन्डर के अनुसार यह पर्व अक्टूबर या फिर नवम्बर के महिने में पड़ता है । इस बार ये पर्व 19 अक्टूबर को पड़ेगा । इस समूचे भारत के साथ-साथ विश्व के कुछ देश जैसे श्रीलंका, नेपाल, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया, मलेशिया आदी जगहों पर इस दिन सरकारी छुटीयां रहती है और यहां पर लोग बड़ी धूमधाम से दीपावली का त्यौहार मनाते है । साथ ही विश्व का कोई भी देश जहां भारतीय मूल के लोग भारी मात्रा में रहते हैं । वहां भी दीवाली का त्यौहार उत्साह के साथ मनाया जाता है ।
जैनो में मनाई जाने वाली दीपावली
दीपावली का त्योहार जैन धर्म के लोग बड़े हर्षोउल्लास से मनाते है । जैन धर्म के अनुयायीयों के अनुसार इसी पावन दिन जैन धर्म के चैबीसवें तीर्थकर महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी । इसलिए इस दिन को महावीर स्वामी के मोक्ष दिवस के रुप में मनाया जाता है । एक अन्य मान्यता के अनुसार इसी दिन उनके प्रथम शिष्य गौतम गणधर को ज्ञान प्राप्त हुआ था । इसलिए जैन धर्म के लोग इस त्योहार को बड़े तौर पर मनाते है ।
सिखों में मनाई जाने वाली दीपावली
सिखों में भी दीपावली का त्योहार एक विशेष कारण से मनाया जाता है । सिख धर्म के अनुसार इसी दिन सन 1619 में सिखों के छठे गुरु गोबिन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था । इसीलिए इसे बंदी रिहा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि इसी दिन सन 1577 में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास किया गया था। तबसे इस दिन को सिख धर्म के लोग बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है ।
बौध धर्म में मनाई जाने वाली दीपावली
जैन और सिख धर्म के साथ-साथ बौध धर्म के लोगों में भी दीपावली को लेकर अलग मान्यता है । इनकी मान्यता के अनुसार बौध धर्म के प्रवर्तक भगवान गौतम बुद्ध 17 साल बाद इसी दिन अपने अनुयायीयों के साथ अपने गृह नगर कपिलवस्तु पहुचें थे। इस अवसर पर बौध धर्म के अनुयायीयों ने लाखों दीप जलाकर उनका स्वगात किया था। तभी हर साल बौध धर्म के लोग इस दिन को धूम-धाम से मनाते है।
वैज्ञानिक कारण
जब दीपावली आती है तो मौसम में परिवर्तन होता है । इस समय वर्षा ऋतु का अंत होता है और शरद ऋतु प्रारंभ होती है । वर्षा ऋतु के दौरान पैदा हुए किटाणु या जिवाणुओं को नष्ट करने के लिए दीपावली के समय घर की साफ- सफाई की जाती है । कच्चे घरों की लोग मिट्टी से पुताई करते हैं । इससे बर्षा ऋतु में उतपन्न गंदगी समाप्त हो जाती है । दीपावली के दिन घी और तेल के दीपक जलाएं जाते हैं जिससे आस-पास हानिकारक किटाणु नष्ट हो जाते हैं । दीपावली की रात घर के हर कोने में जहां अन्य दिनों में प्रकाश नहीं रहता वहां भी इन दीपों को रखते हैं । इससे घर में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है ।
पौराणिक कारण
प्रसिद्ध धार्मिक पुराण रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन चैदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आये थे जिसकी खुशी में अयोध्या वासियों ने घर-घर में दीप जलाएं थे । उसी समय से इसे प्रकाश पर्व के रुप में भी मनाया जाता है । भारतवर्ष में लगभग सभी हिंदू घरों में दीपावली के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है । ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करके प्रसाद बटाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है ।
दीपावली और पटाखे
दीपावली के दिन बच्चों और युवाओं में भारी उत्साह रहता है । दीवाली की शाम राॅकेट, लड़ियां और अन्य पटाखों की आवाजों से सारा आसमान गूंजता रहता है । हमारे देश में तेजी से आते बदलाव का नतीजा ही है कि आज हर वर्ग के लोग दीपावली के दिन बड़ी मात्रा में पटाखों का इस्तेमाल करते हैं । हर वर्ष दीपावली पर पटाखों से फैलने वाले प्रदूषण और बिमारीयों के बारे में जन-मानस को जागरुक किया जाता है । मगर पाटाखों का कुछ साकारात्मक प्रवाभ भी पड़ता है । ग्रामिण क्षेत्रों में कृषि के लिए पटाखों को अत्यन्त लाभकारी माना गया है । क्योंकि पटाखों के अंदर ज्यादा मात्रा में गंधक पाया जाता है । गंधक की वजह से पाला पड़ता है, जो कुछ फसलों पर लाभकारी प्रभाव डालता है । पटाखों के पीछे मनौवैज्ञानिक लाभ भी जुड़े हुए है । पाटाखों को जलाने से मन प्रफुल्लित रहता है । जिससे हम कई सारी बातों को भूल जाते है । साथ ही पटाखों से निकलने वाले धुएं से हानिकारक किटाणु नष्ट हो जाते है ।
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