भारत में गुरु शिष्य संस्कृति काफी समय से हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा रही है |और आगे भी बनी रहेगी | ताकि यह संस्कृति बनी रहे इसीलिए आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का नाम दिया गया है । यह माना जाता है कि इसी दिन वेद व्यास जी ने वेदों का संकलन किया और कई पुराणों, उपपुराणों व महाभारत की रचना भी इसी दिन पूर्ण हुई थी । इसलिए इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है ।
सिर्फ हिन्दू धर्म ही नहीं बल्कि सिख धर्म में भी गुरु पूर्णिमा का काफी महत्व है, उनके १० गुरुओं का काफी महत्व है |
इस दिन सभी लोग अपने गुरु को याद करते हैं क्योंकि हमारे शास्त्रों में गुरु को भगवन से भी ऊँचा दर्जा दिया गया है | गुरु हमारे जीवन का मार्गदर्शक होता है जो हमें अंधकार से प्रकाश रास्ता दिखता है | और वास्तविकता से हमारी पहचान करवाता है । एक अच्छा गुरु पाकर शिष्य तो धन्य होता ही है बल्कि एक अच्छा शिष्य पाकर गुरु भी उतना हे धन्य हो जाता है | क्योंकि एक सच्चा गुरु हमेशा शिष्य को अपने से भी ज्यादा श्रेष्ठ बनाने की कोशिश करता है ।
ठीक इसी तरह गुरु की तलाश भी करनी पड़ती है । वर्तमान में अनेक गुरु मिलते हैं जो सच्चे ज्ञान का रास्ता बताने की बातें करते हैं, लेकिन उनमें से सही कौन है ? कौन आपको सही राह पर ले जायेगा ? कहां आपकी तलाश पूरी होगी ? यह कह पाना मुश्किल है ।
मगर आज के वक्त में एक साचा गुरु खोजना काफी मुश्किल है, पर आज भी कई ऐसे सच्चे और ज्ञानी गुरु हैं जो जीवन में आपका मार्गदर्शन करते हैं ।
और आज के दिन ही सदी का सबसे लम्बा चन्द्र ग्रहण लग रहा है | जिसका सुटक काल दोपहर 2 :55 से शुरू होगा |
कब करें गुरु की पूजा:-
गुरु की पूजा करने क लिए आप के पास सुबह 5:00 बजे से 10:29 बजे तक का ही समय है, क्योंकि 10:30 से लेकर 12:01 बजे तक रहू काल होगा और उस समय पूजा नहीं की जा सकती |
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