कौन है स्कंद, क्या होती है स्कंद षष्टि

यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र स्कंद को समर्पित होने के कारण स्कंद षष्ठी (Skanda Sashti) के नाम से जाना जाता है। जैसे गणेश जी के लिए महीने की चतुर्थी के दिन पूजा–अर्चना की जाती है उसी प्रकार उनके बड़े भाई कार्तिकेय या स्कंद के लिए महीने की षष्ठी के दिन उपवास किया जाता है। उत्तर भारत में कार्तिकेय को गणेश का बड़ा भाई माना जाता है लेकिन दक्षिण भारत में कार्तिकेय गणेश जी के छोटे भाई माने जाते हैं। इसलिए हर महीने की षष्ठी को स्कंद षष्ठी मनायी जाती है। षष्ठी (Skanda Sashti) तिथि कार्तिकेय जी की होने के कारण इसे कौमारिकी भी कहा जाता है। दक्षिण भारत के साथ उत्तर भारत में भी यह पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है। संतान के कष्टों को कम करने और अपने आस-पास की नकारत्मक ऊर्जा की समाप्ति में यह व्रत फायदेमंद होता है।

पूजा विधि

इस दिन प्रात: उठकर स्नान कर और साफ कपड़े पहनकर स्ंकद तदेव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन स्कंद देव को स्नान करवाकर और नए कपड़े पहनाकर सच्चे मन से उनकी पूजा करनी चाहिए. इस दिन स्कंद देव पर दही में और आर्थिक स्थिति भी अच्छी बनी रहती है. इन दिन दान का भी काफी महत्व हैं. कहा जाता है कि इस दिन  दान करने से विशेष फल मिलता है |

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