वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति, योग और दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण रहती है और इन्हीं पर सम्पूर्ण ज्योतिष शास्त्र निर्भर रहता है कि कौन जातक प्रेम में धोखा देगा और कौन कामयाब होगा। कुंडली में प्रेम (love) के लिए पांचवां और वैवाहिक जीवन के लिए सातवां भाव बहुत महत्वपूर्ण है। सातवें भाव में चंद्रमा का स्थान होने से वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है। अगर चंद्रमा की स्थिति यहां शुभ हो, किसी सौम्य ग्रह के साथ युति हो, तो जातक का प्रेम विवाह होने के प्रबल योग बनते हैं। उसे मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
