कुंडली में कैसे बन जाते है धोखा-धड़ी जैसे योग

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली में ग्रहों की स्थिति, योग और दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण रहती है और इन्हीं पर सम्पूर्ण ज्योतिष शास्त्र निर्भर रहता है कि कौन जातक प्रेम में धोखा देगा और कौन कामयाब होगा। कुंडली में प्रेम (love) के लिए पांचवां और वैवाहिक जीवन के लिए सातवां भाव बहुत महत्वपूर्ण है। सातवें भाव में चंद्रमा का स्थान होने से वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है। अगर चंद्रमा की स्थिति यहां शुभ हो, किसी सौम्य ग्रह के साथ युति हो, तो जातक का प्रेम विवाह होने के प्रबल योग बनते हैं। उसे मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।

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अगर राहु या केतु के साथ युति हो अथवा सूर्य की सप्तम दृष्टि हो तो उसके वैवाहिक जीवन में विभिन्न अवरोध आते रहते हैं। प्यार शब्द में जितना माधुर्य और विश्वास है, धोखे में उससे ज्यादा नफरत और विश्वासघात है। एक इन्सान प्यार और धोखा क्यों करता है, इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं। मनोविज्ञान में इसके विभिन्न कारण बताए गए हैं।

वहीं ज्योतिष शास्त्र की भी स्पष्ट मान्यता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में विशेष प्रकार के योग होंगे तो वह प्रेम (love) में धोखा दे सकता है। इसके उलट, कुछ दुर्लभ योग ऐसे भी होते हैं जो उसे प्रेम में सफलता दिलाते हैं। ज्योतिष में अक्सर यह देखा जाता है कि पांचवें भाव में बैठा शुक्र जातक को प्रेम प्रसंग में सफलता प्रदान करता है। उसका वैवाहिक जीवन भी सुखी होता है, परंतु यदि उसके साथ कोई क्रूर ग्रह बैठा हो तो शुक्र का प्रभाव न्यून हो जाता है। ऐसे में अगर वह किसी से प्रेम करे तो सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि उसके साथ धोखा हो सकता है।

प्रेम-प्रसंग के मामले में चंद्रमा को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर पांचवें भाव में चंद्रमा बैठा हो तो ऐसा जातक प्रेम प्रसंग में बहुत आगे रहता है। अगर चंद्रमा विभिन्न दृष्टियों से दोषयुक्त हो तो वह जिद्दी और चंचल स्वभाव का प्राणी हो सकता है। इस स्थिति में अगर वह किसी से प्रेम (love) करता है तो स्वयं द्वारा धोखा देने अथवा प्रेमिका द्वारा धोखा मिलने की आशंका रहती है।

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