ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की जन्मकुंडली में एक ऐसा स्थान (भाव) होता है जिसे हर कोई भी व्यक्ति प्राप्त करना चाहता है। यह न उम्र देखता है ना जाति-पाती का बंधन। थोड़ा सा अनुकूल वातावरण मिलते ही दो दिलों के बीच प्रेम पनपने लगता है। आजकल के इस भौतिक जीवन में जहां स्त्री-पुरुषों का अधिकांश समय ऑफिस में बीतता है, ऐसे में प्रेम पनपना आसान बात है। लेकिन परेशानियां तब उलझ जाती है जब यह प्रेम आगे बढ़ने से पूर्व ही टूट जाता है। या कभी-कभी ऊंचाई तक पहुंचकर भी साथी नहीं मिल पाता। ऐसे में व्यक्ति डिप्रेशन में आ जाता है और गलत कदम तक उठा लेता है। किस व्यक्ति को कब और कैसा प्यार मिलेगा यह उसकी जन्म कुंडली देखकर बताया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपकी कुंडली में मौजूद ग्रहों की दशा बताती है कि आपके नसीब में प्यार है कि नहीं।
ज्योतिषाचार्य इंदु प्रकाश जी कहते हैं कि यदि किसी भी जातक की जन्मकुंडली में पंचम और सप्तम भाव का सम्बन्ध तो यह निश्चित ही है की ऐसे जातकों का प्रेम विवाह होता है।ऐसे जातक सदैव स्त्री प्रेमी व प्रेम बंधनो में बंधे रहते है और पर स्त्री गामनी भी होते हैं और एक सुखी जीवन यापन करते हैं।
जन्मकुंडली में शुक्र ग्रह को स्त्री ग्रह माना गया है। पति-पत्नी, प्रेम संबंध, भोग विलास, आनंद आदि का कारक ग्रह भी शुक्र ही है। शुक्र अनुकूल रहे तो जीवन प्रेम से भर जाता है जब जातक की कुंडली में शुक्र और मंगल का योग बन जाता है या इनका आपस में कोई संबंध होता है तो ऐसी स्थिति में जातक के जीवन में प्यार की बहार आ सकती है।
अक्सर यह देखा जाता है कि पांचवें भाव में बैठा शुक्र, बुध ग्रह जातक को प्रेम प्रसंग में सफलता प्रदान करता है। उसका वैवाहिक जीवन भी सुखी होता है, परंतु यदि उसके साथ कोई क्रूर ग्रह बैठा हो तो शुक्र का प्रभाव न्यून हो जाता है। ऐसे में अगर वह किसी से प्रेम करे तो सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि उसके साथ धोखा हो सकता है। यदि आपकी जन्मकुंडली में शुभ योग होने के बाद भी आपको अपने प्रेम का सुख नहीं मिल पाता है तो आप अपनी जन्मकुंडली के माध्यम से विश्वविख्यात ज्योतिषाचार्य इंदु प्रकाश जी से संपर्क कर अपने बुरे योगों को नष्ट कर एक सुखी जीवन यापन कर सकते हैं।
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ChaTurth bhaav mein Meen Rashi ka Surya aur Guru aur pancham mein Mesh rashi ka shukra ho to jivan kaisa hoga