
अक्षय नवमी वह पावन अवसर है जब आप अक्षय पुण्य, जीवन में ऊँचाई और विजयी भव का वरदान प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन खास तौर पर आंवले के वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। आंवले के वृक्ष के सानिध्य में भोजन करना और उसकी आराधना करना आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, साहस और उत्साह का संचार करता है।
आंवले का महत्व और औषधीय गुण
प्रकृति ने हमें अनेकों वनस्पतियाँ दी हैं, जिनके अपने-अपने गुण और लाभ हैं। हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है और हर क्षण हम जो सांस लेते हैं, उसमें भी ये तत्व शामिल होते हैं। आंवला, जिसे आयुर्वेद में अमृता कहा गया है, पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर है।
अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा-अर्चना करने, हल्दी, अक्षत और रोली अर्पित करने, और वृक्ष के चारों ओर धागा लपेटने की परंपरा विशेष महत्व रखती है। इसके नीचे बैठकर भोजन करने से शरीर में सकारात्मक केमिकल प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न होती हैं, जो अदम्य साहस, ऊर्जा और उत्साह प्रदान करती हैं।
भगवान विष्णु और अक्षय नवमी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास की नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने आंवले के वृक्ष पर निवास किया था। यही दिन द्वापर युग की शुरुआत और भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कंस-वध से पूर्व मथुरा-धार व वृंदावन की परिक्रमा का पर्व भी है।
अक्षय नवमी के दिन आंवले का सेवन और आंवले के वृक्ष का पूजन करने से अक्षय पुण्य, सुख, समृद्धि और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। स्नान, पूजन, तर्पण और अन्नदान करने से इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है।
स्वस्थ जीवन के लिए संदेश
आंवले के औषधीय गुणों के कारण यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है। इस पर्व के माध्यम से हमें वनस्पतियों के संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने का संदेश भी मिलता है।
अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और उसके सानिध्य में भोजन करना न केवल धार्मिक पुण्य प्रदान करता है बल्कि हमारे शरीर और मन को भी सशक्त और ऊर्जावान बनाता है।
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