आध्यात्मिक

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रामायण की हर घटना है सच, यह हैं सबूत

राम और रामायण आदि काल से लोगों की आस्‍था का केन्‍द्र रहे हैं। रामायण की माने तो लंकेश रावण को मार कर प्रभु श्री राम ने धर्म की स्‍थापना की थी। क्‍या रावण के सच मे दस सिर और बीस हाथ थे। क्‍या हनुमान जी अपना रूप मनचाहा बढ़ा सकते थे। ऐसे कई सवाल है […]

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करवा चौथ : कैसे करें सुहाग की लम्बी उम्र की कामना

किसी भी व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्त्व होता है। अगर सही विधि पूर्वक पूजा नहीं की जाती है तो इससे पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है। करवा चौथ (Karwa Chauth) व्रत खास कर स्त्रियां अपने पति की लम्बी उम्र यानि अपने सुहाग के लिए रखती हैं | यदि आप व्रत का रखना

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दीपावली से जुडी अन्य कहानियाँ

दीपावली (Diwali) हमारा सबसे प्राचीन धार्मिक पर्व है। यह पर्व प्रतिवर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। देश-विदेश में यह बड़ी श्रद्धा, विश्वास एवं समर्पित भावना के साथ मनाया जाता है। यह पर्व ‘प्रकाश-पर्व’ के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व के साथ अनेक धार्मिक, पौराणिक एवं ऐतिहासिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।

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गोवत्स द्वादशी क्यों है खास

कार्तिक कृष्ण द्वादशी को गोवत्स द्वादशी (Govats Dwadashi) के नाम से जाना जाता है। इसे बछ बारस का पर्व भी कहते हैं। गुजरात में इसे वाघ बरस भी कहते हैं. यह एकादशी के बाद आता है। गोवत्स द्वादशी के दिन गाय माता और बछड़े की पूजा की जाती है। यह पूजा गोधुली बेला में की

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धनतेरस का महत्व

अखंड भारत वर्ष में दीपावली के महापर्व से दो दिन पूर्व धन के देव धन्वन्तरिकी पूजा बड़े ही उल्लास के साथ की जाती है आम तौर पर इस पर्व को धनतेरस (Dhanteras) नाम से मनाया जाता है। माना जाता है की इस दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था  है। यह पर्व हर साल कार्तिक

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शरद पूर्णिमा का महत्व

भारतीय धर्म ग्रंथों के अनुसार व अखंड ज्योतिष गणना के द्वारा हर माह के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा होती है। यह स्थिति चन्द्रमा की कलाओं पर निर्धारित दो पक्षों (अमावस्या व पूर्णिमा) में बंटी रहती है। धार्मिक रूप से पूर्णिमा तिथि बहुत ही सौभाग्यशाली मानी जाती है। इसलिये सम्पूर्ण विश्व में ज्योतिष शास्त्र

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माँ सिद्धिदात्री का स्वरूप तथा महत्व

श्री दुर्गा का नवम रूप माता श्री सिद्धिदात्री (Maa Sidhidatri) है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों की दाता हैं इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं। भगवान शिव ने भी सिद्धिदात्री देवी की कृपा से ये अनेको सिद्धियां प्राप्त की थीं। सिद्धिदात्री देवी की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण

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नवरात्र में माता कालरात्रि का पूजन

नवरात्र के सातवें दिन माँ भगवती दुर्गा के कालरात्रि (Maa Kalratri) रूप की पूजा की जाती है। शास्‍त्रों के अनुसार बुरी शक्तियों से पृथ्‍वी को बचाने और पाप को फैलने से रोकने के लिए मां ने अपने तेज से इस रूप को उत्‍पन्‍न किया था इनका रंग काला होने के कारण ही इन्हें कालरात्रि (Maa

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माँ कात्यायनी के पूजन से मिलेगा मन चाहा वर

नवरात्रि की धूम हर तरफ है। घर हो या मंदिर, हर जगह माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना हो रही है। नवरात्रि के छठे दिन देवी के छठे स्वरूप माँ कात्यायनी (Maa Katyayani) की पूजा-अर्चना का विधान है। इसी तिथि में देवी ने जन्म लिया था और महर्षि ने इनकी पूजा की थी |

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माँ स्कंदमाता देती हैं मोक्ष का आशीर्वाद

श्री दुर्गा का पंचम रूप श्री स्कंदमाता (Maa skandmata) हैं। श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता (Skanda mata) कहा जाता है। नवरात्रि के पंचम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इनकी आराधना से विशुद्ध चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती हैं। इनकी आराधना से

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