गंगा का जल केवल ग्रहण करने या चुने भर से ही जन्मों जन्मों के पाप समाप्त हो जाते हैं| गंगा ही कलयुग का प्रधान तीर्थ है| आज अधिक ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है। आज श्री गंगा दशहरा मनाया जाता है। आज ही के दिन गंगा मैय्या का अविर्भाव पृथ्वी पर हुआ था। वैसे तो गंगा दशहरा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को ही मनाया जाता है, लेकिन इस बार अधिक मास होने के कारण मतांतर से बंगाल और उड़ीसा को छोड़कर अन्य स्थानों पर गंगा दशहरा अधिक ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जायेगा, जबकि बंगाल और उड़ीसा में अधिक मास समाप्त होने के बाद, यानी ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जायेगा। दोनों तिथियां मान्य हैं। आपको बता दें कि राजा भागीरथ की कठिन तपस्या के कारण ही गंगा मैय्या का पृथ्वी पर आगमन संभव हो पाया था। हालांकि पृथ्वी के अंदर गंगा के वेग को सहने की शक्ति न होने के कारण भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं के बीच स्थान दिया, जिससे धारा के रूप में पृथ्वी पर गंगा मय्या का आगमन हो सके और पृथ्वी पर भी गंगा मय्या का जल उपलब्ध हो सके। गंगा मय्या के पृथ्वी पर आगमन में महत्व भूमिका के कारण आज के दिन गंगा मैय्या के साथ-साथ भगवान शिव की उपासना का भी महत्व है। आज के दिन गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को पापकर्मों से छुटकारा मिलता है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति गंगा नदी में स्नान करने न जा सके तो वह किसी अन्य पवित्र नदी में गंगा मैय्या का ध्यान करता हुआ स्नान कर सकता है और अगर आपके लिये वो भी संभव न हो तो अपने घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा-सा गंगाजल मिलाकर, उससे स्नान करें और दोनों हाथ जोड़कर मन ही मन गंगा मैय्या को प्रणाम करें।
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