काशी भगवान शिव की नगरी मानी जाती है | यहाँ मौजूद है भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर (kashi vishwanath mandir) | इस मन्दिर में विराजमान शिव जी के दर्शन के लिए लोग लाखों की संख्या में आते हैं | यहाँ होने वाली गंगा आरती विश्व भर में प्रसिद्ध है | इस मन्दिर का निर्माण एक मान्यता के अनुसार सन 1490 के समय का है | कहा जाता है की जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तो सूर्य की सबसे पहली किरण यहीं पड़ी थी।

माना जाता है की काशी भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर बसी हुई है | यहाँ के पालक और संरक्षक शिव जी ही हैं | इस मन्दिर के उपर सोने की छत्र भी लगी हुई है जिसके बारे में मान्यता है की इसे देख कर अगर कोई मुराद मांगी जाये तो वह ज़रूर पूरी होती है | साथ ही अगर भक्त इस मंदिर में भगवान के दर्शन कर और पवित्र गंगा नदी में स्नान करते हैं तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है | यहाँ अगर कोई व्यक्ति प्राण त्यागता है तो उसे अवश्य मुक्ति मिलती है | इसीलिए सदियों से शिव भक्त यहाँ मोक्ष प्राप्ति के लिए आते हैं।
काशी का यह विश्वनाथ मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है क्योंकि यहाँ का ज्योतिर्लिंग दो हिस्सों में स्थित है | इसके दाएं तरफ के ज्योतिर्लिंग में शक्ति का रुप मां भगवती विराजमान है, जबकि दूसरी तरफ भगवान शिव विराजित हैं। अर्थात यहां भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान है।
तन्त्र की दृष्टि से विश्वनाथ मन्दिर (kashi vishwanath mandir) में चार प्रमुख द्वार हैं- शांति द्वार, कला द्वार, प्रतिष्ठा द्वार, निवृत्ति द्वार | इन चारों द्वारों का तंत्र में अलग स्थान है | पूरी दुनिया में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां शिवशक्ति एक साथ विराजमान हों और वहां तंत्र द्वार भी मौजूद हो।
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