जीवन में खुशहाली, सुख समृद्धि व उन्नति लाने वाले महालक्ष्मी व्रत का आरंभ 6 सितंबर से हो चुका है। ये व्रत 16 दिनों तक चलेंगे यानि व्रत का पारण 22 सितंबर को किया जाएगा। इन 16 दिनों में व्रत का विधान है। लेकिन अगर आप किसी भी कारणवश 16 दिनों तक व्रत नहीं कर सकते हैं तो केवल 3 दिन व्रत रखकर भी मां की कृपा हासिल की जा सकती है। तीन दिनों के लिए ही व्रत करना हो तो पहले दिन, आठवें दिन और आखिरी दिन व्रत करना चाहिए।
महालक्ष्मी व्रत के लिए कलश स्थापना मुहूर्त |
शाम 05:25 से 06:37 बजे तक कलश स्थापना की जा सकती है।
रात 09:28 से 10:53 बजे तक कलश स्थापना हो सकती है।
रात 12:19 से 03:10 बजे तक कलश स्थापना की जा सकती है।
पूजा विधि
महालक्ष्मी व्रत में नहा धोकर तय जगह पर साफ सफाई के बाद निर्धारित मुहूर्त में कलश स्थापना की जाती है। साथ ही कलश पर लाल कपड़े में लपेटकर एक कच्चा नारियल भी रखा जाता है। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर सफेद रेशमी कपड़ा बिछाया जाता है और उस पर महालक्ष्मी की तस्वीर स्थापित की जाती है। लेकिन ध्यान रखें कि अगर तस्वीर की जगह आप कोई मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो पाटे पर सफेद की बजाय लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। अब आपको मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाना है। आप चाहे तो 16 दिनों तक अखंड जोत जला सकते हैं लेकिन अगर किसी भी कारण से ये संभव ना हो तो सुबह-शाम देवी मां के आगे घी का दीपक जलाया जा सकता है। साथ ही आपको रोज़ाना मेवे व मिठाई का भोग भी देवी महालक्ष्मी को लगाना चाहिए। मां के सामने दीपक जलाने व भोग लगाने के बाद घर में जितने सदस्य हैं, उतने लाल रेशमी धागे या कलावे के टुकड़े लेकर उसमें 16 गांठे आपको लगानी है और उसके बाद सभी सदस्यों को वो धागा अपने दाहिने हाथ की कलाई पर बांध लेना चाहिए। जब पूजा संपन्न हो जाए तो ये धागा खोलकर वापस लक्ष्मी जी के चरणों में आपको रख देना है।
महालक्ष्मी व्रत में दान का है महत्व |
महालक्ष्मी के इस 16 दिवसीय व्रत के दौरान दान का भी विशेष महत्व है। लेकिन ध्यान रहे कि आप जो कुछ भी दान करें वो 16 की संख्या में ही होना चाहिए। इस व्रत में क्या कुछ आप दान कर सकते हैं उसके बारे में हम नीचे बता रहे हैं –
सोलह चुनरी…..सोलह बिंदी…..सोलह सिन्दूर की डिब्बी…..सोलह लिपिस्टिक…..सोलह लाल रंग के रिबन…..सोलह कंघे या कंघी…..सोलह शीशे…..सोलह बिछिया…..सोलह नाक की नथ या लौंग…..सोलह फल…..सोलह मिठाई…..सोलह मेवा…..सोलह लौंग…..सोलह इलायची…..सोलह मीटर सफ़ेद कपड़ा या रुमाल और ब्राह्मण को दक्षिणा।
महालक्ष्मी व्रत में इन चीज़ों का कर सकते हैं सेवन |
लौकी, गाजर, कद्दू, पनीर, खीरा, सामक के चावल, हरी मिर्च, अदरक, काली मिर्च, देशी घी, कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, फ्रुट्स, दही, जीरा, सेंधा नमक, आलू की सब्ज़ी |
महालक्ष्मी व्रत में इन चीज़ों का सेवन है निषेध |
लाल मिर्च, लहसुन, नमक, अन्न, प्याज़ व गर्म मसाला
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