भारतीय कैलेंडर के अनुसार पौष (Paush) मास साल का दसवां महिना होता है | इस साल यह मास 22 दिसंबर से आरम्भ हो रहा है जो की अगले वर्ष 2020 में 20 जनवरी तक रहेगा | बता दें की हर महीने का नाम नक्षत्रों से सम्बन्धित हैं | जिस मास की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस विशेष नक्षत्र में रहता है, उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। इस मास को धनुर्मास भी कहते हैं।
मान्यता है की इस माह में कोई शुभ कार्य करना वर्जित होता है लेकिन आप अगर गुरु की उपासना के लिये, आध्यात्मिक कार्यों जैसे हवन, पूजा-पाठ या किसी तीर्थ स्थल की यात्रा करना इस दौरान बड़ा ही शुभ फलदायी है। सूर्य की धनु संक्रांति से पौष मास के पूरे शुक्ल पक्ष के दौरान सूर्य धनु संक्रांति में रहता है। इसीलिए इस माह के दौरान किया गया पूजा-पाठ बहुत लाभदायक होता है |
13 दिसम्बर से खरमास शुरू होगा और सूर्य ब्रहस्पति में प्रवेश करेगा | यह खरमास फिर अगले वर्ष यानि 2020 में 14 जनवरी तक रहेगा | फिर मकर संक्रांति के बाद विवाह के लिए शुभ महूर्त शुरू होंगे | पौष मास (Paush) के दौरान सूर्य की उपासना का भी बहुत महत्व होता है। आदित्य पुराण के अनुसार पौष माह के प्रत्येक रविवार को तांबे के बर्तन में जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए तथा ‘ऊँ सूर्याय नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए। अगर संभव हो तो रविवार को सूर्यदेव के निमित्त व्रत भी करें और तिल-चावल की खिचड़ी का दान करें । व्रत के दौरान नमक का सेवन ना करने और व्रत का पारण शाम के समय किसी मीठे भोजन से करें ।
पौष माह के दौरान आप अगर सूर्य यंत्र धारण करते हैं तो यह आपके लिए अति लाभ दायक होगा | इस यंत्र को धारण करने से आपको अच्छी नौकरी, व्यवसाय में सफलता, अच्छा स्वास्थ और एकाग्रता बहतर बनाता है |