शिव पुराण में भी है स्तंभेश्वर महादेव मन्दिर का ज़िक्र
भारत में कई अद्भुत और विशाल मन्दिर हैं | कई ऐसे भी जिनकी माया आज भी लोगों को अचरज में दाल देती है | ऐसे ही कुछ मंदिरों में से एक है गुजरात स्थित भरूच ज़िले का स्त्म्भेश्वर महादेव मन्दिर (Stambheshwar Mandir) | इस मन्दिर की एक खास बात है जो इसे दुसरे कई मन्दिरों से अलग करता है और वह खासियत है, इस मन्दिर का दिन में दो बार कुछ समय के लिए गायब हो जाना | कुछ पलोंके बाद यह मन्दिर फिर से दिखाई देने लगता है |

इस मन्दिर की यह खासियत शिव भक्तों को इस मन्दिर तक खीच लाती है | वैसे तो इस मन्दिर की खोज ज़्यादा नहीं बल्कि 200 वर्ष पूर्व ही हुई थी, किन्तु इस तीर्थ का ज़िक्र ‘शिवपुराण’ में रुद्र संहिता के एकादश अध्याय में मिलता है।
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एक कथा के अनुसार, असुराधिपति ताड़कासुर शिव जी को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या करता हैं और शिव जी को प्रसन्न करने में सफल होता है | शिव जी उसकी तपस्या से प्रसन्न हो कर उससे वरदान मांगने के लिए कहते हैं | उसे कोई ना मार सके ऐसा वरदान ताड़कासुर मांगता है जिसके जवाब में शिव जी कहते हैं की यह असंभव | ऐसे में ताड़कासुर वरदान में मांगता है की उसे सिर्फ शिव पुत्र मार सके और वो भी छह दिन की आयु का | शिव जी ने उसे यह वर दे दिया और वर पाने के बाद वह अपना आतंक तीनो लोकों में फ़ैलाने लगा | देवतागण और बाकि ऋषि मुनि तंग हो कर महादेव की शरण में पहुचते हैं | फिर कार्तिकेय ने जन्म ले कर ताड़कासुर का वध किया |
क्योंकी वह एक शिव भक्त था, इसीलिए कार्तिकेय बहुत दुखी हुए | तब उन्हें भगवान विष्णु ने कार्तिकेय को प्राश्चित करने के लिए कहा की वे यहाँ पर एक शिवलिंग (Stambheshwar Mandir) की स्थपना करें और प्रतिदिन इसकी पूजा करें | तभी से यहाँ इस शिवलिंग की पूजा होती है |