स्कंदमाता रानी की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता रानी ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है। उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है, जिससे माता रानी भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। माता रानी कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। स्कंदमाता जी का वाहन सिंह है।
स्कंदमाता रानी को केले के फल का भोग लगाना चाहिए और भोग लगाने के बाद प्रसाद के रूप में खुद भी ग्रहण करना चाहिए।
सफलता पाने के लिए माँ स्कंद माता की सच्चे दिल सेआराधना करनी चाहिए मंत्र का कम से कम 1 माला जाप करे, स्त्रोत पढ़े और आरती करे।
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