भारतीय धर्म ग्रंथों में चन्द्रमा की 16वीं कला को ‘अमा’ कहा गया है। चन्द्रमंडल की ‘अमा’ नाम की महाकला है जिसमें चन्द्रमा की 16 कलाओं की शक्ति शामिल है। शास्त्रों में अमा के अनेक नाम आए हैं, जैसे अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, पंचदशी, अमावसी, अमावासी या अमामासी। अमावस्या के दिन चन्द्र नहीं दिखाई देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या (Darsha Amavasya) कहा गया है, तब इसे ‘कुहू अमावस्या’ भी कहा जाता है। अमावस्या माह में एक बार ही आती है। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं।

इस दर्श अमावस्या (Darsha Amavasya) आप किन उपायों से भाग्य में वृद्धि कर जीवन में सुख समृधि ला सकते हैं, जानिए आचार्य इंदु प्रकाश जी से परामर्श प्राप्त कर |
इस वर्ष देशभर में 27 अक्टूबर के दिन दिवाली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा । हर वर्ष दिवाली अमावस्या के दिन पड़ती है परंतु इस वर्ष दिवाली पर दर्श अमावस्या (Darsha Amavasya) का संयोग बन रहा है । दर्श अमावस्या के विषय में ज्योतिषियों का कहना है कि इस दिन चंद्रमा की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से व्यवधान दूर होते है और लोगों को बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है । ज्योतिषों का यह भी मानना है कि इस दिन चंद्र दर्शन से भाग्य में वृद्धि होती है और जीवन में सुख-समृद्धि मिलती है । सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, दिवाली अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि अमावस्या होती है जिनमे से मुख्य दर्श अमावस्या को माना जाता है।
– इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
– इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
– जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।