सौभाग्य, समृद्धि और कल्याण
शुक्र प्रदोष व्रत
हिंदू धर्म के अनुसार, कलियुग में प्रदोष व्रत अति मंगलकारी और शिव कृपा प्रदान करने वाला होता है । प्रदोष व्रत हर महीने दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है । सप्ताह के सातों दिन पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत का अपना एक अलग महत्व है । इस बार 10 मार्च को शुक्र प्रदोष व्रत पड़ रहा है । कहते हैं कि शुक्र प्रदोष व्रत करने से सौभाग्य, समृद्धि व कल्याण मिलता है । साथ ही धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति होती है । इस दिन सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, चावल, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग व इलायची चढ़ाएं । शाम के समय पुनः स्नान करके शिव जी की षोड्शोपचार (सोलह सामग्रियों) से पूजा करें और आठों दिशाओं में घी का दीपक जलाएं व शिव जी की आरती करें। इस तरह आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जायेंगी ।
साढ़ेसाती और ढैय्या
शनि प्रदोष व्रत
इस बार 25 मार्च को शनि प्रदोष व्रत पड़ रहा है । कहते हैं शनि का प्रकोप बहुत भयंकर होता है, लेकिन शनि प्रदोष व्रत करने से शनि देव का प्रकोप शांत हो जाता है । जिन लोगों पर साढ़ेसाती ढैय्या का प्रभाव हो, उनके लिए तो यह व्रत करना विशेष हितकारी है । इस दिन शनि से संबंधित चीजों जैसे लोहा, तेल, काला तिल, काली उड़द, कंबल आदि का दान करना चाहिए और व्रत करना चाहिए । शनि प्रदोष व्रत को संतान प्राप्ति का व्रत भी कहा जाता है । संतान की कामना रखने वाले दम्पति को शनि प्रदोष व्रत जरूर करना चाहिए । पति-पत्नी दोनों को सुबह स्नान के बाद मिलकर शिव जी, पार्वती और नंदी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद शनिदेव की पूजा करनी चाहिए । शाम को सूर्यास्त के बाद गोधूली के समय दोबारा शिव जी और शनिदेव की पूजा करने के बाद ही व्रत पूरा होता है । शनि प्रदोष के दिन ग्यारह बार दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ भी करना चाहिए । इससे किसी अशुभ प्रभाव के कारण जीवन में आ रही परेशानी दूर हो जाती हैं ।
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