इतिहास के कुछ अमर दोस्तों की जोड़ी

दोस्ती  वह रिश्ता है जो कोई उम्र, जात, रंग, रिश्ता, धर्म नहीं देखता | इसे सिर्फ साफ़ दिल से निभाया जा सकता है, बिना किसी मोह के | हमारे पौराणिक कथाओं में बहुत सी कहानियाँ शामिल हैं जो ऐसे ही कुछ दोस्तों की मिसालें देती हैं | दोस्ती का नाम ज़बान पर आते ही यह कहानियां जहन में आती हैं | 4 अगस्त, 2019 के दिन मनाये जाने वाले मित्रता दिवस (Friendship Day) के उपलक्ष में हम आपको ऐसे ही कुछ दोस्तों की जोड़ियों के बारे में बतायेंगे जो खुद तो नहीं रहे लेकिन उनकी दोस्ती अमर हो गयी |

सबसे पहले बात करते हैं कर्ण और दुर्योधन की दोस्ती की | महाभारत (Mahabharat) का युद्ध दुर्योधन और कर्ण की मित्रता की गहराई का सुबूत देता है | ताकि कर्ण बराबरी का हो कर युद्ध लड़ सके इसीलिए दुर्योधन ने अंग राज्य की स्थापना कर कर्ण को अंग का राजा बना दिया | कर्ण हमेशा से ही अपने परममित्र की तरफ से लड़ता रहा और लड़ते लड़ते ही वह युध्भूमि में ही शहीद हो गये |

कर्ण और दुर्योधन के साथ ही कृष्णा (Shree Krishna) और सुदामा की मित्रता भी बहुत प्रसिद्ध है | गुरुकुल छोड़ने के बाद कृष्णा द्वारका पर राज करने लगे | उनके बचपन के दोस्त का नाम सुदामा था, जिसकी आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा कमज़ोर थी | एक दिन सुदामा की पत्नी ने सुदामा से जा कर अपने मित्र कृष्ण से मिल कर कुछ मदद का आग्रह करने को कहा | सुदामा अपने मित्र से मिलने जाते हैं और वहाँ कृष्ण भी उनका बहुत अच्छा स्वागत करते हैं | श्री कृष्णा (Shree Krishna) सुदामा को अपने राजसिंहासन पर बिठा कर उसका स्वागत करते हैं | द्वारका में अपने मित्र की महमान नवाज़ी देख कर चौंक गये और अपने लिए मदद नहीं मांग पाते | किन्तु जब सुदामा अपने घर लौट कर जाते हैं और श्री कृष्ण (Shree Krishna) की बरसाई कृपा देख कर दंग रह जाते हैं |

इसके बाद बात करते हैं श्री राम (Shree Ram) और सुग्रीव की मित्रता (Friendship Day) की | राम के द्वारा माता सीता को रावण (Ravan) की कैद से छुड़ाने में सुग्रीव की बहुत बड़ी भूमिका थी | सुग्रीव के सहयोग से ही राम माता सीता को लंका से छुड़ाने में सफल हुए | श्री राम (Shree Ram) ने सुग्रीव और उसकी वानर सेना के साथ मिल कर ही रावण को युद्ध में हराया था |

तो ये थी इतिहास की कुछ सबसे महान और अमर दोस्तों (Friendship Day) की जोड़ी, जो किसी भी जाती धर्म के भेद भाव को माने बिना एक दुसरे की कठिन परिस्थितियों में मदद करते हैं |

इससे हमें यही सीख मिलती है की समाज को रहने लायक एक बहतर जगह बनाने के लिए हमे किसी भी तरह के भेद भाव से उठ कर अपनी सोच को बड़ा बनाना होगा, ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अच्छा जीवन सुनिश्चित कर सकें | तो आईये मित्रता दिवस (Friendship Day) की मान्यता को आगे बढ़ाएं और समाज से किसी भी तरह के भेद भाव को दूर करें |

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