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नवरात्र के दुसरे दिन पूजें माँ ब्रह्चारिणी

जैसा की नवरात्रि के दौरान नौ विशेष रात्रियों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है | इसमें पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है, जिससे भक्त माता से भूमि, भवन और वाहन का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं | फिर दुसरे दिन माता […]

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इस दिन मिलता है भवन और वाहन का आशीर्वाद

नवरात्र (Navratri) यानि नौ विशेष रात्रियां | इन रात्रियों में आदिशक्ति के नौ रूपों का पूजन किया जाता है | नवरात्री के हर दिन एक अलग देवी की पूजा का विधान है | हर एक दिन एक देवी को समर्पित है, उनके निर्धारित दिन पर उनकी पूजा करने पर माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं और

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नवरात्र के नवे दिन की पूजा और कन्या पूजन की विधि

नवम नवदुर्गा: माता सिद्धिदात्री नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। सिद्ध माने मोक्ष और माँ सिद्धिदात्री माने मोक्ष प्रदान करने वाली। नवरात्र में विशेष तौर पर मां के नौ स्‍वरूपों की पूजा का विधान है। आज नवरात्री का आखिरी दिन है और आज के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व

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माता महागौरी की पूजा कर मनाएं दुर्गा अष्टमी

अष्टम नवदुर्गा: माता महागौरी नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरीजी की पूजा करी जाती है। मान्यताओं के अनुसार भगवान् शिव जी की तपस्या करते हुए माँ का शरीर धूल भरा हो गया | यह देख शिव जी बहुत ही प्रसन्न हुए और माँ गौरी को गंगा जल से साफ़ किया जिसकी वजह से माता रानी का

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नवरात्र के छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा

छठा नवदुर्गा : देवी कात्यायनी नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की आराधना की जाती है। महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या के फल स्वरुप में माँ ने कात्यायन के घर जन्म लिया जिसके कारण माता रानी का नाम कात्यायनी पड़ा। कात्यायनी माता की आरती जय जय अम्बे जय कात्यानी| जय जग माता जग की महारानी||

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पांचवे नवरात्र पर स्कंदमाता को पूजें

स्कंदमाता रानी की चार भुजाएं हैं जिनमें से माता रानी ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है। उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है, जिससे माता रानी भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है। माता रानी कमल

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दुसरे नवरात्र के दिन करें ब्रह्मंचारिणी की पूजा

द्वितीय नवरात्र : माता ब्रह्मचारिणी नवरात्री में माता रानी के नौ स्वरुपों में दूसरा स्वरुप है माँ ब्रह्मचारिणी। माँ ब्रह्मचारिणी जी का विवाह शिव जी से होने के कारण माता रानी का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। ब्रह्मचारिणी दो शब्दों से मिलकर बना ब्रह्मा यानि तपस्या और चारिणी मतलब आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी का पूरा अर्थ है

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पहले नवरात्री में किन देवी को पूजा जाता है ?

पहला नवरात्र : माता शैलपुत्री नवरात्री में माता जी के नौ स्वरूपों में पहला स्वरुप है माँ शैलपुत्री। हिमालय के घर पुत्री स्वरुप जन्म लेने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। नवरात्री में माँ शैलपुत्री को ही पहले दिन पूजा जाता है। शैलपुत्री माता रानी की आरती। शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।

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नवरात्री में कलश स्थापना और पूजा की पूरी विधि

नवरात्री हिन्दुओ का पर्व है जिसमे माँ दुर्गा जी के प्रति आस्था प्रकट की जाती है, नवरात्री का अर्थ है नौ राते, इन नौ रातो में भक्त पुरे मन से देवी शक्ति (लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा) के नौ रूपों की उपासना करते है. साल में नवरात्री चार बार चैत्र, आषाढ़, आश्विन, माघ महीने में आती है,

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