ज्योतिष

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क्यों नहीं करना चाहिए होलाष्टक में शुभ कार्य

शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक (Holashtak) में शुभ कार्यों का प्रारंभ नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कष्ट और पीड़ाओं की आशंका घेरती है और संबंधों में खटास भी आ सकती है। इस तरह की परेशानियों से बचने के लिए इन दिनों में शुभ कार्यों का निषेध किया गया है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष […]

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किस कारण होता है किन्नरों का जन्म

प्रकृति में नर नारी के अलावा एक अन्य वर्ग भी है| जो न तो पूरी तरह नर होता है और न नारी। इन लोगों को हम किन्नर या हिजड़ा कहते हैं। आज के समय में इन्हें थर्ड जेंडर की संज्ञा मिली है। वैसे प्राचीन काल से इनका अस्तित्व रहा है। पुराने ग्रन्थों जैसे महाभारत में

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अशुभ चंद्र ग्रह से होने वाली अनेकों बीमारियाँ

इस मानव जगत में हर व्यक्ति चाहता है, की जीवन में हर प्रकार से मेरा समय खुशियाँ से भरा रहे और मैं सुखी जीवन यापन करता रहूँ | परन्तु ज्योतिषीय ग्रह गणित द्वारा अशुभ ग्रहों की चाल ऐसा कहाँ सुख होने देती है | कहीं न कहीं अपना अशुभ प्रभाव जातक के उपर बनाये रखती

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क्या हैं गठिया रोग के उपाय

” पहला सुख निरोगी काया” देखा जाय तो प्रतिस्पर्धा के इस युग में व्यक्ति अपने कर्म पर अधिक ध्यान देने लगा है और भौतिक जीवन में सुखमय रहना चाहता है,  जिससे उसकी दिनचर्या प्रभावित भी होती है। खानपान में अनियमितता के कारण किसी रोग का प्रकोप हो जाता है। ज्योतिषाचार्य इंदु प्रकाश जी कहते हैं कि

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कैसे बनाएँ दांपत्य जीवन को सुगम

भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार चंद्र देव को सभी पूजनीय देवताओं में से एक मुख्य स्थान प्राप्त है। चन्द्रमा को जल तत्व का देव भी कहा जाता है। चंद्र ‘नवग्रह’ का एक महत्वपूर्ण ग्रह भी है, जो पृथ्वी पर रह रहे जीवात्मा को अपने बल से प्रभावित बनाये रखता है। चंद्रमा को अनुकूल ग्रह माना

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समस्त ग्रहों में परम-पराक्रमी सूर्य ग्रह का प्रभाव

भारतीय ज्योयतिष शास्त्र के अनुसार समस्तर ग्रहों का राजा परम तेजस्वीर सूर्य को माना जाता है। सूर्य की श्रेष्ठयता को देखते हुए प्राचीन आचार्यों ने इसे जगत-जीवात्मा की संज्ञा दी है। भारतीय वेद – पुराण, जो कि हिन्दु‍ धर्म के सबसे पुराने लिखित इतिहास के निम्न आलेख मिलते है। कि दक्ष प्रजापति की दिति एंव

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भुत प्रेत की समस्या से पाएं छुटकारा

भारतीय अखंड ज्योतिषशास्त्र के अनुसार हर माह के कॄष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या तिथि का उद्गमन होता है | इस दिन प्रेत आत्माएं अधिक प्रभावशील रहती है इसीलिए चतुर्दशी और अमावस्या के दिन बुरे कार्य तथा नकारात्मक विचार से दूरी बनाए रखने में व्यक्ति को सुख का अनुभव होता है। खासकर इस दिन

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किन कारणों से बनता है पित्र दोष क्या हैं इसके उपाय

जीवन में हमीं कईं दोषों का सामना करना पड़ता है | कईं दोषों का तो हमें पता चल जाता है | पर कईं दोष ऐसे हैं जिनके बारे में हमें पता भी नहीं चलता | इनमे से एक दोष है पित्र दोष (Pitra Dosh) | इस दोष का कारण ज्यादातर राहू होता है | इसकी

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भुत प्रेत का साया या बनते काम में अड़चन, पहने ये रत्न

ज्‍योतिष शास्‍त्र में गोमेद रत्न को राहू का रत्‍न माना जाता है। यह रत्न राहू के दोष को दूर करने के लिए जाना जाता है | यूँ तो राहू अशुभ हे माना जाता है | किन्तु केंद्र में स्थित राहू को गोमेद के धारण करने से अनुकूल बना दें तो धन सम्पदा आदि का लाभ होता है

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13 मुखी रुद्राक्ष आपको दीलायेगा धन और सौंदर्य

रुद्राक्ष शिव का प्रत्यक्ष अंश माना जाता है | पुराणों की मानें तो रुद्राक्ष शिव जी के आंसुओं से बने हैं| रुद्राक्ष धारण करने के कईं नियम हैं जिसके अनुसार हे आपको रुद्राक्ष धारण करना होता है | अलग अलग प्रकार के रुद्राक्ष होने के साथ साथ उनका असर भी अलग अलग होता है |

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